सार
राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले रेख सिंह गुर्जर की सड़क हादसे में एक आंख की रोशनी चल गई थी। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के डॉक्टर ने कह दिया था कि अब रोशनी वापस नहीं आयेगी। लेकिन गिरराज महाराज के आशीर्वाद से दिखने लगा।
भरतपुर (राजस्थान). क्या कभी ऐसा हो सकता है कि किसी सड़क हादसे में युवक की आंखों की रोशनी चली जाए। जिसका इलाज कई डॉक्टर से करवाया जाए लेकिन बात नहीं बैठे और उसकी आंखों की रोशनी नहीं आ पाए और वहीं रोशनी भगवान की भक्ति करने मात्र से आ जाए, चौंकिए मत यह कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है। राजस्थान में भगवान की भक्ति मात्र से ही एक भक्तों की आंखों की रोशनी लौट आई है। जो भगवान के लिए 125 किलोमीटर दंडवत होकर परिक्रमा कर रहा है।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान डॉक्टर कह चुके थे अब नहीं आएगी रोशनी
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना गांव क्षेत्र के रहने वाले रेख सिंह गुर्जर की। जो अब से करीब 6 महीने पहले शादी के कार्ड देने के लिए बाइक से रिश्तेदारी में जा रहा था। इसी दौरान सड़क हादसा हुआ जिससे कि उसकी आपके पास चोट लग गई और दाहिनी आंख की रोशनी चली गई। इसके बाद उनका उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहरों में इलाज करवाया गया लेकिन आखिरकार डॉक्टर ने यह कह दिया कि आंख की रोशनी वापस नहीं आयेगी।
''आंखों में दिखने लगा तो गिरिराज महाराज की करूंगा दंडवत परिक्रमा'
डॉक्टरों के मना करने के बाद रेख़ सिंह निराश नहीं हुआ, उसने गिरिराज महाराज से मन्नत मांगी और कहा कि यदि उसकी आंख की रोशनी वापस लौट आएगी तो वह दंडवत परिक्रमा करेगा। करीब 4 महीने बाद उसके आंखों की रोशनी लौट आई। अब रेखसिंह ने दंडवत परिक्रमा शुरू कर दी है। उनके परिवार के कई सदस्य भी उनके साथ दंडवत परिक्रमा कर रहे हैं।
100 किलोमीटर की दंडवत परिक्रमा 25 दिन में होगी पूरी
बता दें कि 100 किलोमीटर से भी ज्यादा की यह दंडवत परिक्रमा करीब 25 दिनों में पूरी होगी। वह 1 दिन में करीब 8 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं। जब 8 किलोमीटर का सफर पूरा तय हो जाता है उसके बाद वह कोई रहने और खाने लायक जगह देख लेते हैं और फिर अपनी पूरी रात वही गुजार देते हैं।