सार

शादियों का सीजन जा चुका है, अब जुलाई में शादी होंगी। लेकिन राजस्थान में पेड़ों का विवाह कराया जा रहा है। जहां पीपल के पेड़ को दूल्हा बनाया तो पीपली दुल्हन बनी, अग्नि के सामने फेरे हुए और नाच-गाना से लेकर खाना तक हुआ। सिर्फ इस वजह से हुए पेड़ों की शादी

उदयपुर. राजस्थान में सूरज अंगारे उगल रहा है। आधे से ज्यादा राजस्थान में लू का रेड अलर्ट है, लेकिन इस बीच राजस्थान के कोटा जिले में एक शादी की चर्चा हो रहा है। यह शादी दो पेड़ों के बीच में हुई है। इसमें दूल्हा बना है बड़ का पेड़ और दुल्हन बनी है पीपल यानी पीपली का पेड़। हिंदु रित रिवाज के अनुसार दोनो की शादी की गई है। इस शादी से पेड़ लगाने और हरियाली फैलाने का भी संदेश दिया गया है।

पीपल के पेड़ को दूल्हा बनाया तो पीपली बनी दुल्हन

दरअसल कोटा जिले के कनवास क्षेत्र में यह आयोजन किया गया है। कनवास इलामें की कनवास तहसील के गांव आमली झाड़ में बड़ और पीपल की शादी कराई गई है। पीपल के पेड़ को दूल्हा माना गया है। पीपल के पेड़ के नजदीक डीजे बजाया गया और उसके बाद दूल्हे के परिवार के लोग बने गांव वालों ने वहां जमकर डांस किया। नजदीक के पीपली के पेड़ को दुल्हन स्वरूप माना गया। दुल्हन के परिवार वालों ने दूल्हे के परिवार वालों का स्वागत किया। मनुहार कर उनको भोजन कराया गया। उसके बाद वैदिक मंत्रों और हिंदू रीति रिवाजों से शादी की गई, फेरे हुए। उसके बाद समधी मिलनी की रस्म भी हुई।

इस वजह से कराई पेड़ों की शादी

गांव के लोगों का कहना है कि पीपल पूर्णिमा पर इस तरह का आयोजन किया गया। यही संदेश दिया गया है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत है। पेड़ लगाने के बाद ही तापमान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं इसके धार्मिक महत्व भी हैं। मान्यता है कि शादी के बाद ही बड़ और पीपल के पेड़ शुद्ध यानी पूजा योग्य हो जाते हैं। उन पर जल अर्पण करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।