7-8 सितंबर 2025 को लगे पूर्ण चंद्र ग्रहण के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान कर पूजा-अर्चना की। जानें यूपी में कहां-कहां दिखा ब्लड मून, सूतक काल का समय और इस खगोलीय नजारे का धार्मिक महत्व।
Lunar Eclipse 2025 Ayodhya Holy Dip: आसमान में लाल आभा बिखेरते चंद्र ग्रहण का अद्भुत दृश्य देखने के बाद अयोध्या में श्रद्धालु सोमवार सुबह सरयू नदी के घाटों पर जुटे। सुबह-सुबह हजारों लोगों ने पवित्र स्नान कर भगवान से प्रार्थना की।
चंद्र ग्रहण के अगले दिन सरयू घाट पर क्यों उमड़ी भीड़?
रविवार रात 8:58 बजे शुरू हुआ पूर्ण चंद्र ग्रहण सोमवार तड़के 2:25 बजे तक चला। ग्रहण समाप्त होते ही परंपरा के अनुसार बड़ी संख्या में लोग सरयू घाट पहुंचे। मान्यता है कि ग्रहण के तुरंत बाद नदी स्नान करने से अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन में शुद्धता आती है।
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भारत के कई हिस्सों में छाया था ब्लड मून का खगोलीय नजारा
दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई से लेकर कोलकाता तक देशभर के शहरों में लोगों ने इस खगोलीय घटना को देखा। दिल्ली के नेहरू तारामंडल और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में हजारों लोग जुटे। आसमान में लालिमा से ढका चांद देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो उठे।
अयोध्या में धार्मिक आस्था और खगोल विज्ञान का संगम
ग्रहण को लेकर अयोध्या के मंदिरों में विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान भी किए गए। कई जगह मंदिरों के कपाट बंद रखे गए और स्नान के बाद सुबह फिर से पूजा शुरू हुई। यह नजारा विज्ञान और आस्था के अद्भुत संगम को दर्शाता है।
महंतों और ज्योतिषियों ने ग्रहण के प्रभावों को लेकर क्या कहा?
अयोध्या के साकेत भवन मंदिर के महंत सीताराम दास ने बताया कि यह ग्रहण समाज में मतभेद और युद्ध जैसी परिस्थितियां ला सकता है। वहीं ज्योतिषियों का कहना है कि मेष, धनु, कन्या और वृषभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण शुभ है, जबकि अन्य राशियों के लिए चुनौतियां ला सकता है।
लाल चांद के अद्भुत नजारे ने क्यों किया सबको आकर्षित?
वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्लड मून तब बनता है जब पृथ्वी की परछाईं से गुजरते हुए चंद्रमा पर लालिमा पड़ती है। इसी कारण ग्रहण के समय चांद नारंगी, तांबे और लाल रंग का दिखता है। यह पूरी तरह सुरक्षित खगोलीय घटना है, जिसे बिना किसी उपकरण के भी देखा जा सकता है।
ग्रहण के धार्मिक महत्व और स्नान की परंपरा
हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण के दौरान सूतक काल में पूजा-पाठ और शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ग्रहण खत्म होते ही स्नान और शुद्धि अनिवार्य मानी जाती है। अयोध्या की सरयू नदी में सोमवार सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ इसी परंपरा को निभाने के लिए उमड़ी।
पूरे विश्व में दिखा चंद्र ग्रहण, भारत बना मुख्य साक्षी
यह खगोलीय नजारा न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में भी देखा गया। लेकिन भारत में इसे विशेष रूप से साफ और स्पष्ट रूप में देखा गया, जिससे यह अवसर ऐतिहासिक बन गया।
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