Sikh Contribution India: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में सिख गुरुओं के बलिदान और योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह के त्याग ने देश की अस्मिता बचाई और नई पीढ़ी को कर्तव्यनिष्ठा का मार्ग दिखाया।
CM Yogi On Sikh History: गोरखपुर के पैडलेगंज स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में रविवार को एक विशेष आयोजन हुआ, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिख गुरुओं के बलिदान और उनकी परंपरा को नमन किया। कार्यक्रम में उन्होंने गुरुवाणी सुनी, श्रद्धालुओं से संवाद किया और गुरुद्वारा में हुए पर्यटन विकास कार्यों का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सिख गुरुओं ने हमेशा भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह जी महाराज तक, हर गुरु ने त्याग और बलिदान की परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने विशेष रूप से गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का उल्लेख करते हुए कहा कि जब-जब संस्कृति पर संकट आया, सिख गुरुओं ने आगे बढ़कर उसका सामना किया।
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चार साहिबजादों की शहादत को क्यों माना जाता है ऐतिहासिक?
सीएम योगी ने गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के चारों साहिबजादों - बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह – की शहादत को भारतीय इतिहास का गौरवशाली अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि जब उन्हें धर्म छोड़ने का लालच दिया गया, तब भी उन्होंने अपनी आस्था और संस्कृति से समझौता करने के बजाय बलिदान का रास्ता चुना। छोटे साहिबजादों को दीवार में चुनवाकर शहीद कर दिया गया, लेकिन उनका साहस और निष्ठा आज भी देश को प्रेरित करती है।
‘वीर बाल दिवस’ क्यों है खास?
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि 26 दिसंबर को पूरे देश में ‘वीर बाल दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन साहिबजादों की शहादत को स्मरण करने और आने वाली पीढ़ियों को उनके साहसिक योगदान से परिचित कराने का प्रतीक है।
सीएम योगी ने गोरखपुर के पैडलेगंज गुरुद्वारा को बेहतर स्वरूप देने के लिए किए गए कार्यों का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि अब यहां श्रद्धालुओं को लंगर, गुरुवाणी पाठ और धार्मिक आयोजनों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। साथ ही उन्होंने जटा शंकर और मोहद्दीपुर गुरुद्वारों के विकास कार्यों का भी जिक्र किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिख गुरुओं ने अपने जीवन का हर क्षण देश, धर्म और मानवता के कल्याण में लगाया। उनके बलिदान और शिक्षाओं को अपनाना ही सच्ची कृतज्ञता है। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में वही जाति और समाज जीवित रहते हैं, जो अपने पूर्वजों के शौर्य और त्याग को जीवन का हिस्सा बनाते हैं।
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