सार
उत्तर प्रदेश का धार्मिक स्थल चित्रकूट हमेशा से ही रिसर्च का विषय रहा है।चित्रकूट के घने जंगलों और पहाड़ियों पर कई ऐसी गुफाए हैं, जिनके अंदर की दुनिया आज तक रहस्य बनी हुई है। इन्हीं में से एक है गुप्त गोदावरी में निकली तीसरी गुफा।
चित्रकूट. उत्तर प्रदेश का धार्मिक स्थल चित्रकूट हमेशा से ही रिसर्च का विषय रहा है। कहते हैं कि इस पावन धरती पर भगवान श्रीराम ने सीता के साथ वनवासकाल के साढ़े 11 साल गुजारे थे। चित्रकूट सिर्फ धार्मिक वजहों से ही चर्चा में नहीं रहता, बल्कि यहां प्रकृति के भी कई अजीब और रहस्य छुपे हुए हैं। चित्रकूट के घने जंगलों और पहाड़ियों पर कई ऐसी गुफाए हैं, जिनके अंदर की दुनिया आज तक रहस्य बनी हुई है। इन्हीं में से एक है गुप्त गोदावरी में निकली तीसरी गुफा।
चित्रकूट की दिलचस्प कहानी, गुप्त गोदावरी और गणेश चतुर्थी स्पेशल
चित्रकूट के गुप्त गोदावरी में पहले से दो गुफाएं सामने आई थीं। अब पिछले दिनों एक नई यानी तीसरी गुफा का पता चला है। इसके अंदर क्या है, फिलहाल तो ये रहस्य बना हुआ है, लेकिन उसे देखने दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।
इस गुफा में पानी को कोई सोर्स नहीं फूटा है। कहा जा रहा है कि ये गुफा गुप्त गोदावरी से जुड़ी है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि गुफा के अंदर शिवलिंग और गणेशजी की मूर्ति है। हालांकि गुफा का मुंह बेहद संकरा होने से लोगों का मंदिर तक पहुंच पाना संभव नहीं हो पाया है। गुफा में सांप और अन्य तरह के जहरीले कीड़े-मकोड़ों का वास होने की भी चर्चा है।
क्या है चित्रकूट की गुप्त गोदावरी का रहस्य?
कहते हैं कि जब राम और सीता वनवास पर निकले थे, तब गुप्त गोदावरी की पहली गुफा में रहे थे। इस गुफा का रास्ता बहुत संकरा है। चित्रकूट शहर से करीब 25 किमी की दूरी पर विंध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं से दो जल धाराएं फूटती हैं। सबसे ऊपर की गुफा से निकली जल धारा एक कुंड में गिरती है। इसे सीता कुंड कहते हैं। दूसरी गुफा पहली थोड़ी नीचे है। इसमें भी एक जल धारा है। गुफा संकरी होकर आगे जाकर बंद हो जाती है। जहां से यह गुफा निकलती है, उसमें से निकली जल धारा आगे जाकर एक पीपल के पेड़ के पास जाकर गुप्त यानी गायब हो जाती है। इसी वजह से इसे गुप्त गोदावरी कहते हैं।
चित्रकूट की गुप्त गोदावरी की कहानी
चित्रकूट में गोदावरी नदी एक पहाड़ में जाकर सिमट गई है। यहां से बाहर निकलने पर नदी नजर नहीं आती। गोदावरी नदी के उद्गम स्थल और गुफाओं के रहस्य से पर्दा उठाने कई जानकारों ने बहुत कोशिश की, मगर नाकाम रहे।
गुप्त गोदावरी से पांच किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत मालाओं के बीच में मंदाकिनी नदी के तट पर ऋषि अत्रि का आश्रम है। यहां पर पहाड़ से कई जल-धाराएं बहकर नदी का रूप लेती हैं। इसे मंदाकिनी कहते हैं।
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