सार
गाजियाबाद और देहरादून में दो परिवारों से "मिलने" का दावा करने वाले व्यक्ति के दावों की जांच पुलिस कर रही है। जानें पूरी घटना की सच्चाई।
गाजियाबाद। UP के गाजियाबाद में 31 साल बाद अपने परिवार से मिलने का भावनात्मक दावा करने वाले भीम सिंह उर्फ राजू की कहानी अब पुलिस जांच के घेरे में है। भीम सिंह, जो खुद को मोनू शर्मा बताता है, ने हाल ही में गाजियाबाद में अपने माता-पिता से मिलने का दावा किया था। यह कहानी मीडिया में चर्चा का विषय बन गई, लेकिन इसी युवक ने इससे पहले देहरादून में भी कुछ इसी तरह का खेल एक परिवार के साथ खेला था। देहरादून पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।
देहरादून में भी किया था दावा
देहरादून पुलिस ने बताया कि मोनू शर्मा ने 5 महीने पहले उत्तराखंड के देहरादून में एक परिवार से मिलने का दावा किया था और उनके साथ रहना शुरू कर दिया था। उसने कहा था कि उसे 8 साल की उम्र में अगवा कर राजस्थान में बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया गया था। वहां के परिवार ने उसे अपना लिया था, लेकिन कुछ समय बाद वह दिल्ली चला गया और वापस नहीं लौटा।
खुद का नाम मोनू शर्मा बताते हुए पुलिस से मांगी थी मदद
खुद को मोनू शर्मा बताते हुए उसने देहरादून के एक पुलिस स्टेशन से संपर्क किया और उनसे अपने माता-पिता को खोजने में मदद करने का अनुरोध किया। दोनों बार उसने एक ही दावा किया कि उसे बचपन में अगवा कर लिया गया था और उसे राजस्थान में बंधुआ मजदूर के रूप में रखा गया था। अखबारों और अन्य मीडिया में उसकी तस्वीर प्रसारित की गई, जिसके बाद एक महिला आशा शर्मा ने उसे अपने लापता बेटे के रूप में पहचाना और वह व्यक्ति उसके परिवार के साथ रहने लगा।
देहरादून छोड़ने के बाद मां-बाप से नहीं किया संपर्क
कुछ दिन पहले वह अपने देहरादून के घर से दिल्ली चला गया और तब से उसने अपने "माता-पिता" से कोई संपर्क नहीं किया। बाद में आशा को पता चला कि मोनू शर्मा होने का दावा करने वाला व्यक्ति अब गाजियाबाद में एक अन्य परिवार के साथ "फिर से मिल गया" है। उसने कहा कि मोनू अक्सर उसकी बेटी के बच्चों से झगड़ा करता था और उन्हें घर से बाहर निकालने के लिए कहता था। आशा के पति कपिलदेव शर्मा ने कहा कि उन्हें हमेशा उस व्यक्ति के दावों पर संदेह था, लेकिन अपनी पत्नी की वजह से उसे घर में रहने दिया।
8,000 रुपए उधार लेकर दिल्ली गया मोनू
उन्होंने बताया कि दिल्ली जाने से पहले मोनू शर्मा ने देहरादून में एक व्यक्ति से 8,000 रुपये उधार लिए थे। जब पुलिस उनके घर आई और बताया कि वह अब गाजियाबाद में दूसरे परिवार के साथ रह रहा है, तो कपिलदेव ने बताया कि उन्होंने पुलिस से कहा कि वे उस व्यक्ति का चेहरा दोबारा नहीं देखना चाहते। मानव तस्करी निरोधक इकाई के निरीक्षक प्रवीण पंत, जिन्होंने देहरादून में आशा और कपिलदेव से व्यक्ति की मुलाकात कराई थी, ने बताया कि जांच अभी जारी है और जरूरत पड़ने पर टीम गाजियाबाद भी जाएगी।
मानसिक डिस्टर्व लग रहा था युवक
पंत ने बताया कि जब वह व्यक्ति देहरादून में उनके पास आया, तो वह "थोड़ा मानसिक रूप से अस्थिर" लग रहा था। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि पुलिस मामले पर कड़ी नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देहरादून में व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। गाजियाबाद पुलिस ने देहरादून में अपने समकक्षों से भी संपर्क किया है और मामले की आगे जांच कर रही है।
गाजियाबाद पुलिस ने शुरू की मामले की जांच
गाजियाबाद के पुलिस उपायुक्त निमिश पाटिल ने बताया कि "राजू (भीम सिंह) के बयानों में विसंगतियां सामने आई हैं, क्योंकि वह उस ट्रक चालक का नाम नहीं बता पाया, जिसने उसे देहरादून और गाजियाबाद दोनों जगहों पर छोड़ा था, जिससे संदेह पैदा हो रहा है।" डीसीपी ने कहा कि राजू के बयानों में विसंगतियों के बावजूद हम उसके दावों की प्रामाणिकता को वेरीफाई करने के लिए मामले की गहन जांच कर रहे हैं।" गाजियाबाद पुलिस ने उस व्यक्ति को आगे की पूछताछ के लिए बुलाया है। गाजियाबाद पुलिस के अनुसार, "मोनू" की मुलाकात आशा और कपिलदेव शर्मा से 26 जून 2024 को हुई थी। शर्मा का बेटा करीब 16-17 साल पहले लापता हो गया था।
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