सार

हाथरस में सत्संग के दौरान मचे भगदड़ (Hathras satsang stampede) के चश्मदीद ने बताया है कि घटना कैसे घटी। भीड़ अधिक थी और रास्ता तंग, सड़क के बगल में नाला था। भगदड़ मची तो लोग नाले में गिरने लगे, जिससे उनकी मौत हो गई।

हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा (Bhole Baba) के सत्संग में मंगलवार को मचे भगदड़ (Hathras satsang stampede) में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है।

घटना के वक्त मौके पर मौजूद एक चश्मदीद शकुंतला ने भगदड़ की रोंगटे खड़े कर देने वाली आंखों देखी कहानी सुनाई है। चश्मदीद ने बताया कि कैसे सत्संग खत्म होने के बाद लोग नाले में एक-दूसरे के ऊपर गिर गए।

एक के बाद एक नाले में गिरते गए लोग, कई भगदड़ में कुचले गए

शकुंतला ने कहा, "मैं भोले बाबा के सत्संग में आई थी। बहुत भीड़ थी। पैर रखने तक की जगह नहीं थी। सत्संग में आने-जाने का रास्ता संकड़ा था। इसके चलते गेट पर भीड़ लग रही थी। सत्संग खत्म होने के बाद बाबा निकले। उनके पीछे बड़ी संख्या में लोग बाहर आए। सड़क काफी ऊंचाई पर बनी थी। उसके नीचे नाला था। रास्ता पतला था। भीड़ अधिक होने के चलते भगदड़ मची और लोग एक के बाद एक नाले में गिरते गए। इससे भगदड़ और तेज हो गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, चीख-पुकार मच गई। भगदड़ में भी लोग कुचले गए हैं।"

जो लोग नाले में गिरे बाहर नहीं आ सके

एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि लोग सड़क किनारे खड़े थे तभी सत्संग से निकल रही भीड़ आ गई। जगह कम होने से लोग एक दूसरे को धक्का देने लगे। इसी दौरान कुछ लोग नीचे नाले में गिर गए। इसके बाद भगदड़ मच गई। नाले में लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे। वे बाहर नहीं आ सके। 20-25 लोगों की तो मौके पर ही मौत हो गई थी।"

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सत्संग आयोजन समिति के सदस्य महेश चंद्र ने मीडिया से कहा, “भगदड़ प्रशासन की अनदेखी के चलते मची है। सत्संग अनुमति लेकर आयोजित की गई थी। प्रशासन की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई थी। जो लोग नाले में गिरे वे कीचड़ में दब गए थे। इसके बाद भीड़ में शामिल लोग भागने लगे। भीड़ कंट्रोल करने के लिए कोई नहीं था।”

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