लखनऊ, उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग में अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस पर भव्य समारोह हुआ। न्यायमूर्तियों, अधिकारियों और प्रशिक्षु छात्रों ने “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” थीम पर विचार रखे। कार्यक्रम में ब्रोशर वितरण और जन-जागरूकता पर विशेष जोर दिया गया।
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग, लखनऊ के ऑडिटोरियम में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में माननीय न्यायमूर्ति डॉ. डी.के. अरोड़ा और विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना उपस्थित रहे। आयोग के वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा, सदस्य बृज भूषण, पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके, सचिव संजय कुमार, विधि अधिकारी अल्पना शुक्ला, संयुक्त सचिव वेद प्रकाश द्विवेदी, वित्त एवं लेखाधिकारी अंकिता मिश्रा, अनु सचिव आलोक यादव तथा आयोग के सभी कर्मचारी इस पावन अवसर पर शामिल हुए। इस वर्ष 2025 की थीम “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” रखी गई।
इंटर्नशिप छात्रों की सहभागिता और थीम पर विचार
उ.प्र. मानव अधिकार आयोग में चल रहे शीतकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम के प्रशिक्षु- आयुष पाठक, श्रुति मेहता, अन्तरा शुक्ला और दिव्यांशी—ने भी समारोह में भाग लिया और मानव अधिकार दिवस की थीम “हमारी दैनिक आवश्यकताएं” पर अपने विचार साझा किए। सचिव संजय कुमार ने मुख्य अतिथियों, विशिष्ट अतिथियों, अधिकारियों, वकीलों, मीडिया प्रतिनिधियों और प्रशिक्षुओं का स्वागत किया तथा मानव अधिकार दिवस के महत्व पर विस्तृत चर्चा की।
मुख्य अतिथि का संबोधन: मौलिक अधिकारों पर युक्तिसंगत सीमाएं
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति डॉ. डी.के. अरोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि बोलने का अधिकार या कोई भी मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं है। इन अधिकारों पर उचित और तर्कसंगत प्रतिबंध लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कानून की दृष्टि में हर व्यक्ति समान है। उन्होंने यह भी समझाया कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा किन परिस्थितियों में की गई और इसका क्या महत्व है।
विशिष्ट अतिथि का संबोधन: गरिमा की शुरुआत घर से
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि गरिमा की शुरुआत घर से होती है। उन्होंने समाज में महिलाओं और बच्चियों की गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।
वरिष्ठ सदस्य के विचार: स्वच्छ हवा और जीवन जीने का अधिकार
वरिष्ठ सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने कहा कि चाहे अधिकार मौलिक हों या विधिक, हमें उन्हें सुरक्षित करना होगा। उन्होंने स्वच्छ हवा में सांस लेने को भी मानवाधिकार की श्रेणी में बताया। उनके अनुसार यदि हर व्यक्ति मानवाधिकार की शपथ को आत्मसात कर ले तो अन्य कानूनों की आवश्यकता बहुत कम पड़ जाएगी।
मानव अधिकार आयोग सदस्य का वक्तव्य
आयोग के सदस्य बृज भूषण ने कहा कि नागरिकों को मिले सभी अधिकार मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं। हर व्यक्ति के मूलभूत अधिकार सुरक्षित होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि आयोग ने कई दिव्यांग और गरीब व्यक्तियों की सहायता की, जो आर्थिक तंगी के कारण न्याय तक नहीं पहुंच पा रहे थे।
पुलिस महानिदेशक का आभार और धन्यवाद ज्ञापन
पुलिस महानिदेशक संदीप सालुंके ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, सदस्यगण, अधिकारियों, अधिवक्ताओं और छात्र-छात्राओं को समारोह में शामिल होने और अपने विचार साझा करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने आयोग के स्टाफ को सफल आयोजन के लिए सराहा।
कार्यक्रम संचालन और जन-जागरूकता हेतु ब्रोशर विमोचन
कार्यक्रम का संचालन आयोग की विधि अधिकारी (उच्चतर न्यायिक सेवा) अल्पना शुक्ला ने किया। उनके निर्देशन में आयोग के गठन, कार्य, शक्तियां और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को एक विस्तृत ब्रोशर में सम्मिलित किया गया। ब्रोशर में यह भी बताया गया कि मानवाधिकार उल्लंघन की स्थिति में आयोग से कैसे सहायता प्राप्त की जा सकती है। समारोह के दौरान इस ब्रोशर का वितरण भी किया गया ताकि आम जनता आयोग की कार्यप्रणाली को आसानी से समझ सके।


