योगी सरकार के सहयोग से IIT कानपुर देश का प्रमुख स्टार्टअप हब बनकर उभरा है। SIIC में 521 स्टार्टअप सक्रिय हैं। मैन्युफैक्चरिंग, डिफेंस, ड्रोन, AI, क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे उत्तर प्रदेश को बड़ा लाभ हो रहा है।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश आज देश के प्रमुख स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में अपनी सशक्त पहचान बना रहा है। इस दिशा में देश के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में शामिल आईआईटी कानपुर की भूमिका बेहद अहम हो गई है। अब आईआईटी कानपुर केवल शिक्षा और शोध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के आर्थिक भविष्य को दिशा देने वाला एक मजबूत स्टार्टअप और इनोवेशन हब बनकर उभर रहा है।
SIIC में 521 स्टार्टअप, यूपी को बना रहे इनोवेशन कैपिटल
आईआईटी कानपुर में स्थित स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (SIIC) में इस समय 521 स्टार्टअप सक्रिय हैं। ये स्टार्टअप न केवल अपनी तकनीकी क्षमता का लोहा मनवा रहे हैं, बल्कि देश और प्रदेश के इकोनॉमिक ड्राइवर के रूप में भी उभर रहे हैं। साथ ही, ये प्रयास उत्तर प्रदेश को नवाचार की नई राजधानी के रूप में स्थापित करने में मदद कर रहे हैं।
आईआईटी कानपुर के औद्योगिक एवं प्रबंधन इंजीनियरिंग विभाग, डिज़ाइन प्रोग्राम और SIIC के प्रभारी प्रोफेसर दीपू फिलिप के अनुसार, योगी सरकार स्टार्टअप सेक्टर को लेकर लगातार ठोस कदम उठा रही है और आने वाले समय में यूपी एक बड़ा स्टार्टअप केंद्र बनेगा।
योगी सरकार की नीतियों से इनोवेशन को मिली तेज रफ्तार
आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इकोसिस्टम को उत्तर प्रदेश सरकार का सीधा और रणनीतिक सहयोग मिल रहा है। योगी सरकार की स्टार्टअप-फ्रेंडली नीतियां, आसान फंडिंग व्यवस्था और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर ने यहां इनोवेशन को नई गति दी है। सरकार और संस्थान की इस साझेदारी ने आईआईटी कानपुर को ऐसा प्लेटफॉर्म बना दिया है, जहां आइडिया सीधे इंडस्ट्री और बाजार से जुड़ रहे हैं।
IIT कानपुर खुद निभाता है मेंटर की भूमिका
आईआईटी कानपुर देश का ऐसा अनोखा इनक्यूबेशन सेंटर है, जो स्टार्टअप को सिर्फ जगह और संसाधन ही नहीं देता, बल्कि खुद एक मेंटर की भूमिका निभाता है। प्रोफेसर दीपू फिलिप के अनुसार, यहां हर स्टार्टअप के लिए एक फैकल्टी मेंटर नियुक्त किया जाता है।
स्टार्टअप को तकनीकी मार्गदर्शन, बिजनेस मॉडलिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एक्सेस और निवेशकों से जुड़ने तक पूरा सपोर्ट सिस्टम मिलता है। इसी कारण यहां के स्टार्टअप शुरुआती चरण में ही मजबूत आधार के साथ आगे बढ़ते हैं।
मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन आधारित स्टार्टअप को प्राथमिकता
आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर में खास तौर पर मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप यहां इन क्षेत्रों के आइडिया को बड़े बिजनेस में बदला जा रहा है-
- सेमीकंडक्टर
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- हार्डवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स
- डिफेंस प्रोडक्शन
- ड्रोन टेक्नोलॉजी
- एग्री-टेक
- क्लीन एनर्जी
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
- एडवांस मैन्युफैक्चरिंग
कई स्टार्टअप आज हजारों करोड़ रुपये के बाजार को लक्ष्य बना रहे हैं और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर कैंपस में ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े स्टार्टअप द्वारा बने ड्रोन का उपयोग ऑपरेशन सिंदूर में भी किया गया था। कोविड-19 के दौरान भी यहां के स्टार्टअप ने अहम भूमिका निभाई थी।
देश के किसी भी कोने से स्टार्टअप कर सकते हैं आवेदन
प्रोफेसर दीपू फिलिप बताते हैं कि आईआईटी कानपुर का इनक्यूबेटर किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। देश के किसी भी हिस्से से स्टार्टअप यहां आवेदन कर सकता है। चयन पूरी तरह आइडिया की गुणवत्ता, तकनीकी क्षमता और बिजनेस संभावनाओं के आधार पर किया जाता है। इसी वजह से आईआईटी कानपुर का स्टार्टअप नेटवर्क आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है, जिसका सबसे बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को मिल रहा है।


