जौनपुर में दिल दहला देने वाला हत्याकांड सामने आया है। बेटे ने मुस्लिम पत्नी और पैसों के विवाद में माता-पिता की बेरहमी से हत्या कर शवों के टुकड़े किए और नदी में फेंक दिए। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर शवों की तलाश शुरू कर दी है।

जिस घर में कभी मां की ममता और पिता की छाया रही होगी, उसी घर में हैवानियत का ऐसा खेल खेला गया, जिसने पूरे जिले को सन्न कर दिया। जौनपुर में सामने आया यह मामला सिर्फ दो हत्याओं की कहानी नहीं, बल्कि रिश्तों के टूटने, लालच और गुस्से की वह दास्तान है, जिसने एक बेटे को अपने ही माता-पिता का कातिल बना दिया। जब इस वारदात की परतें खुलीं, तो पुलिस भी सिहर उठी।

थाने पहुंची बेटी, गुमशुदगी से शुरू हुई जांच

13 दिसंबर को वंदना नाम की युवती जफराबाद थाने पहुंची। उसने पुलिस को बताया कि उसके माता-पिता श्याम बहादुर (65) और बबिता (63), निवासी अहमदपुर गांव, कई दिनों से लापता हैं। साथ ही उसका भाई अंबेश भी अचानक गायब है। वंदना ने बताया कि आखिरी बार भाई से बात हुई थी, तब उसने कहा था कि मां-पिता कहीं चले गए हैं और वह उन्हें खोज रहा है। इसके बाद भाई से भी संपर्क टूट गया।

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पुलिस को हुआ शक, सर्विलांस टीम एक्टिव

वंदना की शिकायत सुनते ही पुलिस को मामला सामान्य गुमशुदगी से अलग नजर आया। बयान में कई सवाल खड़े हो रहे थे। जौनपुर पुलिस ने तत्काल सर्विलांस टीम को सक्रिय किया और सबसे पहले अंबेश की तलाश शुरू की। कुछ ही समय में पुलिस ने उसे पकड़ लिया और पूछताछ शुरू की।

पूछताछ में बार-बार बदली कहानी, फिर टूटा आरोपी

पूछताछ के दौरान अंबेश लगातार पुलिस को गुमराह करता रहा। हर सवाल पर वह नई कहानी गढ़ता रहा। लेकिन जब पुलिस ने सख्ती दिखाई, तो वह टूट गया। इसके बाद जो सच्चाई सामने आई, उसने हर किसी को दहला दिया। अंबेश ने कबूल किया कि उसके माता-पिता की हत्या हो चुकी है और यह जुर्म उसी ने किया है।

लोहे के बट्टे से हमला, रस्सी से घोंटकर हत्या

अंबेश ने बताया कि उसने पहले मां बबिता के सिर पर लोहे के बट्टे से वार किया। जब पिता श्याम बहादुर किसी को फोन कर घटना की सूचना देने लगे, तो उसने उनके सिर पर भी हमला कर दिया। इसके बाद पास में पड़ी रस्सी से उनका गला कस दिया। तड़प-तड़प कर दोनों की मौत हो गई।

हैवानियत यहीं नहीं रुकी। हत्या के बाद अंबेश ने सबूत मिटाने के लिए माता-पिता के शवों को आरी से काट डाला। दोनों के तीन-तीन टुकड़े किए गए। इन टुकड़ों को सीमेंट की बोरियों में भरकर नदी में फेंक दिया गया। मां के शरीर का एक हिस्सा बोरी में नहीं समा पाया, तो उसे वाराणसी जाते समय सुई नदी में डाल दिया।

मुस्लिम पत्नी और पैसों का विवाद बना वजह

पुलिस जांच में सामने आया कि श्याम बहादुर और बबिता के चार बच्चे थे, तीन बेटियां और एक बेटा अंबेश। बेटियों की शादी हो चुकी थी। अंबेश कोलकाता में रहता था, जहां उसने कोरोना काल में एक मुस्लिम युवती से शादी कर ली थी। इस शादी से उसके दो बच्चे भी हैं। माता-पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे और चाहते थे कि बेटा पत्नी से अलग हो जाए, लेकिन अंबेश इसके लिए तैयार नहीं था।

अंबेश पिछले तीन महीने से गांव में माता-पिता के साथ रह रहा था। इस दौरान जमीन और पैसों को लेकर रोज विवाद होता था। एक तरफ माता-पिता से झगड़े, दूसरी तरफ कोलकाता में पत्नी की पैसों की मांग। 8 दिसंबर की रात इसी तनाव ने खौफनाक रूप ले लिया और अंबेश ने अपने ही माता-पिता की बेरहमी से हत्या कर दी।

खून साफ करने को कपड़ों का इस्तेमाल

घर में निर्माण कार्य चल रहा था, जिससे औजार वहीं मौजूद थे। अंबेश ने इन्हीं औजारों से शवों के टुकड़े किए। फर्श पर फैले खून को उसने माता-पिता के कपड़ों से ही साफ किया। इसके बाद अपनी कार से शवों के टुकड़े लेकर नदी में फेंक आया।

पुलिस ने बरामद किए शव के टुकड़े

एसपी आयुष श्रीवास्तव ने बताया कि गोताखोरों की मदद से पिता के शव के कुछ टुकड़े बरामद कर लिए गए हैं। अन्य हिस्सों की तलाश जारी है। आरोपी से गहन पूछताछ की जा रही है और मामले में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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