लखनऊ के स्वाद और नवाबी पाक परंपरा को वैश्विक पहचान मिली है। UNESCO ने लखनऊ को ‘गैस्ट्रोनॉमी सिटी’ घोषित किया है। गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी तक, इस सम्मान ने लखनऊ के खान-पान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया है।
लखनऊ का नाम अब सिर्फ नवाबों और तहज़ीब के लिए नहीं, बल्कि अपनी लज़ीज़ पाक परंपरा के लिए भी दुनिया में चमक रहा है। सदियों पुरानी ‘अवधी पाक कला’ की खुशबू अब विश्व मंच तक पहुंच गई है। UNESCO (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को अपने Creative Cities Network (CCN) में ‘गैस्ट्रोनॉमी सिटी’ की श्रेणी में शामिल किया है।
यह सम्मान लखनऊ की रसोई, उसकी नवाबी परंपरा और भारत की खान-पान विरासत के लिए एक वैश्विक स्वीकृति है। इस घोषणा के साथ लखनऊ अब दुनिया के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो गया है, जो अपने अनोखे स्वाद और परंपरा के लिए पहचाने जाते हैं।
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UNESCO ने किया ऐलान, दुनिया के 408 शहरों में शामिल हुआ लखनऊ
UNESCO की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने शुक्रवार को 58 नए शहरों को CCN का हिस्सा बनाने की घोषणा की। अब यह नेटवर्क 100 से अधिक देशों के 408 शहरों तक पहुंच चुका है। भारत की ओर से लखनऊ को यह सम्मान ‘गैस्ट्रोनॉमी’ यानी खान-पान की श्रेणी में मिला।
संयुक्त राष्ट्र ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लखनऊ की तारीफ करते हुए लिखा,
“मुंह में पानी लाने वाले गलौटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी, चाट और मक्खन मलाई तक, लखनऊ सचमुच भोजन का स्वर्ग है।”
पीएम मोदी और सीएम योगी ने जताई खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ को यह सम्मान मिलने पर बधाई देते हुए कहा —
“लखनऊ जीवंत संस्कृति और बेहतरीन पाक परंपरा का प्रतीक है। मुझे खुशी है कि UNESCO ने लखनऊ की इस अनोखी पहचान को मान्यता दी। मैं दुनिया भर के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे लखनऊ आएं और इसकी अनूठी स्वाद संस्कृति को अनुभव करें।”
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे उत्तर प्रदेश की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की संस्कृति और परंपराएं वैश्विक स्तर पर नई पहचान बना रही हैं।
लखनवी व्यंजनों की पहचान, जायके में नवाबी नज़ाकत और परंपरा का स्वाद
लखनवी खानपान केवल कबाब तक सीमित नहीं है। यहां के व्यंजन अपने स्वाद, परंपरा और तकनीक के अनोखे मेल के लिए मशहूर हैं।
- कबाब की दुनिया में बादशाह — गलौटी और गला-वटी कबाब, जो मुंह में घुल जाने वाले अपने टेक्सचर के लिए प्रसिद्ध हैं।
- मिठास का संसार — मलाई गिलोरी और मक्खन मलाई लखनऊ के सर्दियों के प्रतीक व्यंजन हैं।
- चाट और बताशे की पहचान — यहां की चाट में उबले आलू की जगह सफेद मटर का इस्तेमाल इसे खास बनाता है।
- दम बिरयानी और निहारी-कुलचा — धीमी आंच पर पका दम बिरयानी और सफेद मखमली कुलचा लखनवी थाल को पूरा करते हैं।
पर्यटन को मिलेगी रफ्तार, बोले अफसर और शेफ रणवीर बरार
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि 2024 में लखनऊ में 82.7 लाख पर्यटक आए थे और 2025 की पहली छमाही में ही यह संख्या 70 लाख पार कर गई। यह दर्शाता है कि खान-पान और संस्कृति मिलकर पर्यटन को नई ऊंचाई दे रहे हैं।
प्रसिद्ध शेफ रणवीर बरार, जो मूल रूप से लखनऊ के ही हैं, ने कहा —
“देर आए, दुरुस्त आए। यह हर लखनवी की जिम्मेदारी है कि दुनिया के सामने हमारी मेहमाननवाजी और व्यंजन और गर्व से पेश हों।”
सदियों पुरानी पाक परंपरा को मिला वैश्विक मंच
लखनऊ को मिला यह सम्मान सिर्फ एक शहर की उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध पाक संस्कृति का वैश्विक उत्सव है। अब जब कोई विदेशी “लखनऊ” कहेगा, तो उसे सिर्फ नवाब नहीं — बल्कि गलौटी कबाब, दम बिरयानी और मक्खन मलाई का जायका भी याद आएगा।
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