144 साल बाद मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग, जानें अमृत स्नान के शुभ मुहूर्त
29 जनवरी को मौनी अमावस्या महाकुंभ के साथ पड़ रही है, जिससे 144 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है. स्नान-दान से दोगुना लाभ मिलेगा. जानें शुभ मुहूर्त और महत्व.
हिंदू धर्म में अमावस्या को पर्व की तरह मनाया जाता है. वैसे तो साल की सभी 12 अमावस्या महत्वपूर्ण है लेकिन माघ महीने की अमावस्या का खास महत्व है. इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन स्नान-दान और अन्य धार्मिक कार्य व्यक्ति को जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाते हैं, साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
इस साल मौनी अमावस्या महाकुंभ के दौरान पड़ रही है. ऐसे में 144 साल बाद मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग बन रहा है जिससे श्रद्धालुओं को स्नान-दान का दोगुना लाभ मिलेगा.
मौनी अमावस्या 2025 में कब ?
मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 बुधवार को है. अमावस्या वह दिन है जब चंद्रमा न तो उदय होता है और न ही अस्त, यानी यह सूर्य और चंद्रमा का मिलन काल होता है. ‘मौनी’ का अर्थ होता है ‘मौन’ यानी चुप रहना. इस दिन मौन व्रत भी किया जाता है.
मौनी अमावस्या 2025 मुहूर्त
माघ अमावस्या तिथि शुरू- 28 जनवरी 2025, रात 7.35
माघ अमावस्या तिथि समाप्त- 29 जनवरी 2025, शाम 06.05
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5.25 - सुबह 6.18
लाभ (उन्नति)- सुबह 7.11 - सुबह 8.32
अमृत (सर्वोत्तम)- सुबह 8.32 - सुबह 9.53
शुभ (उत्तम)- सुबह 11.14 - दोपहर 12.34
144 साल बाद मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग
कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है लेकिन इस बार प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ का संयोग बना है. ऐसे में इस दौरान मौनी अमावस्या भी पड़ रही है. इस दिन महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान किया जाएगा.
पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृतमय हो जाता है, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का सर्वाधिक महत्व है. ऐसे में इस साल मौनी अमावस्या और महाकुंभ के संयोग में गंगा स्नान का महत्व कई गुना बढ़ गया है.
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान क्यों महत्वपूर्ण
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान और दान करना शुभ फलदायी होता है, मान्यता है कि इसके प्रभाव से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. रोग, दोष खत्म होते हैं और जीवन खुशियों से भर जाता है.