बीएएमएस की पढ़ाई कर रहे बेटे के मुताबिक वो पिता के अंत समय में अपने बेटा होने का फर्ज अदा करना चाहते थे। लेकिन, मां की आंखों के आंसूओं ने उन्हें रोक दिया। इसके चलते दो डॉक्टरों व फार्मासिस्ट ने ही उनके पिता के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को उनकी मौजूदगी में पूरा किया। वहीं, मां का कहना था कि वो पति की तरह अपने इकलौते बेटे को खोना नहीं चाहती थी।