सार

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि 29 जनवरी, 2025 यानी मौनी अमावस्या पर करीब 6 करोड़ लोग स्नान करेंगे।

 

प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ-2025 की तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि 29 जनवरी, 2025 यानी मौनी अमावस्या पर करीब 6 करोड़ लोग स्नान करेंगे। प्रशासन का मानना है कि दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब किसी शहर में होने वाले धार्मिक आयोजन में इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु आएंगे।

प्रयागराज महाकुंभ-2025 की ताजा खबर, पढ़िए 10 बड़ी बातें

1. महाकुंभ-2025 की तैयारियों को देखने 27 अक्टूबर को प्रयागराज पहुंचे चीफ सेक्रेट्री दुर्गा शंकर मिश्र ने बताया कि यहां 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से 250 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।

2. बता दें कि महाकुंभ-2025 की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से होगी। इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा। महाकुंभ 45 दिनों तक चलता है।

3.अनुमान लगाया जा रहा है कि महाकुंभ-2025 में 40 करोड़ श्रद्धालु पहुंच सकते हैं। इससे पहले महाकुंभ-2019 में 20 करोड़ श्रद्धालु आए थे।

4.यूपी के चीफ सेक्रेट्री दुर्गा शंकर मिश्र के मुताबिक, मलाक हरहर से बेली तक बनने वाला 9 किमी लंबे फ्लाईओवर का निर्माण जल्द पूरा कर लिया जाएगा।

5. महाकुंभ की तैयारियों के तहत संगम क्षेत्र में 110 मीटर का दशाश्वमेघ घाट सहित गंगा और यमुना नदियों पर 7 नए घाट बनाए जा रहे हैं।

6. इस बार का महाकुंभ-2025 'स्वच्छ भारत' का भी दुनिया को अनूठा मैसेज देगा। महाकुंभ-2025 में डेढ़ लाख टॉयलेट बनाए जाएंगे। 11 हजार से अधिक स्वच्छताकर्मी और वॉलंटियर्स तैनात होंगे।

7. महाकुंभ-2025 में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए देश के 21 राज्यों से चार दिन 2025 स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। 9 राज्यों से 10000 कुंभ मेला बसों का संचलान भी होगा।

8. प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट, कानपुर, लखनऊ व वाराणसी एयरपोर्ट पर भी श्रद्धालुओं के लिए इंतजाम हो रहे हैं।

9. ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने की दिशा में प्रयागराज में स्नान पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं के छह लाख वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की जा रही है।

10. बता दें कि महाकुंभ हर 12 साल में लगता है। यह चार प्रमुख नदी तट तीर्थ स्थलों-प्रयागराज(गंगा-यमुना, सरस्वती नदी का संगम), हरिद्वार(गंगा), नासिक(गोदावरी) और उज्जैन(क्षिप्रा) में मनाया जाता है।

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