सार
अमृतपाल की तलाश में पंजाब एसटीएफ की टीम पीलीभीत पहुंची। यहां टीम के द्वारा सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया तो सामने आया कि कई कैमरे बंद पड़े हैं। वहीं फुटेज से भी छेड़छाड़ की बात सामने आई।
पीलीभीत: पूरनपुर स्थित मोहनापुर गुरुद्वारे के सेवादार जोगा सिंह की गिरफ्तारी के बाद में पंजाब पुलिस खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के मोहनपुर में रुकने की आशंका जता रही है। इसी कड़ी में जांच में जुटी पंजाब एसटीएफ की टीम शनिवार की शाम को फिर से गुरुद्वारे पहुंची। टीम ने यहां पहुंचकर छानबीन शुरू की। हालांकि इस बीच तमाम सीसीटीवी कैमरों की जब जांच की गई तो 16 में से 4 बंद मिले। पड़ताल में पता लगा कि रिकॉर्डिंग से भी छेड़छाड़ की गई है। इसके बाद टीम कैमरों के डीवीआर को अपने साथ में लेकर गई।
गाड़ी मिलने के बाद गहराया शक
गौरतलब है कि अमृतपाल के मोबाइल की लोकेशन पहले ही लखीमपुर-पीलीभीत सीमा के पास में मिली थी। जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों को शक था कि वह इसी इलाके में गया होगा। वहीं इस बीच जब बीते बुधवार को पंजाब के फगवाड़ा में स्कार्पियो बरामद हुई तो शक और भी बढ़ गया। इस गाड़ी पर उत्तराखंड का रजिस्ट्रेशन नंबर था और गाड़ी पीलीभीत के गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी बाबा मोहन सिंह के नाम पर पंजीकृत थी। छानबीन में पता लगा कि अमृतपाल इसी गाड़ी से सवार होकर पंजाब तक पहुंचा था। जिसके बाद अब खुफिया एजेंसियां मामले की जांच में जुटी हुई हैं।
तीन दिन तक डेरा जमाए रही एसटीएफ की टीम
मुख्य ग्रंथी बाबा मोहन सिंह के अनुसार गाड़ी मोहनापुर गुरुद्वारे के सेवादार जोगा सिंह को दे रखी गई थी। तकरीबन एक सप्ताह पहले ही वह गाड़ी लेकर पंजाब गया था। पंजाबके सोनेवाल निवासी ड्राइवर गुरवंत सिंह भी उसके साथ ही था। इस बीच जांच के लिए जुटी एसटीएफ की टीम तीन दिन तक यहां पर डेरा जमाए रही। वहीं गिरफ्तार जोगा सिंह से पूछताछ में कई लोगों के बारे में जानकारी मिली है।
कोतवाल को बाहर ही रोका गया, शाम तक की गई पड़ताल
शनिवार को एसटीएफ की टीम कोतवाल आशुतोष रघुवंशी को साथ में लेकर मोहनापुर के गुरुद्वारे पहुंची थी। यहां तमाम सीसीटीवी कैमरों को चेक किया गया। यहां लगे 16 कैमरों में से 4 बंद मिले। यह भी पता लगा कि रिकॉर्डिंग से भी छेड़छाड़ की गई है। जिसके बाद टीम डीवीआर को अपने साथ में लेकर गई। एसटीएफ की टीम जब मोहनपुर गुरुद्वारे पहुंची तो कोतवाल आशुतोष रघुवंशी उनके साथ ही थे। हालांकि बाद में जब टीम के सदस्य अंदर पहुंचे तो कोतवाल को कमरे के बाहर ही रहने को कहा गया। कोतवाल यहां कुछ देर रुकने के बाद वापस कोतवाली चले गए। वहीं एसटीएफ की टीम देर शाम तक गुरुद्वारे में ही रही और जांच पड़ताल करती रही।