Rahul Gandhi controversial army statement: सेना पर विवादित बयान को लेकर राहुल गांधी लखनऊ कोर्ट में पेश हुए। बीआरओ के पूर्व निदेशक की शिकायत पर मानहानि का केस दर्ज हुआ था। अब इस मामले में राहुल गांधी को जमानत मिल गई है. 

Rahul Gandhi army defamation case: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मंगलवार को अचानक लखनऊ पहुंचे और चुपचाप दो घंटे के भीतर दिल्ली लौट भी गए। उनका यह दौरा किसी राजनीतिक सभा या रैली के लिए नहीं था, बल्कि अदालत की चौखट पर पेश होने के लिए था।

वजह थी 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सेना को लेकर दिए गए एक बयान से जुड़ा मानहानि का मामला। लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होकर राहुल गांधी ने औपचारिक सरेंडर किया और फिर कोर्ट से उन्हें ज़मानत भी मिल गई।

कोर्ट में क्या हुआ? कैसे मिली ज़मानत?

मंगलवार दोपहर राहुल गांधी चार्टर्ड फ्लाइट से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे। कोर्ट में पेश होकर उन्होंने औपचारिक रूप से सरेंडर किया। इसके बाद उनके वकील ने जमानत याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने राहुल गांधी को 20-20 हजार रुपये की दो जमानतें दाखिल करने का निर्देश दिया। औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें ज़मानत मिल गई।

किसने की शिकायत, और क्यों?

यह केस बीआरओ (बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने एक सार्वजनिक बयान में कहा था, "चीन की सेना अरुणाचल प्रदेश में हमारे जवानों को पीट रही है और भारतीय प्रेस चुप है।"

शिकायतकर्ता के अनुसार, यह बयान न केवल सेना का अपमान करता है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी संदेह पैदा करता है।

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क्या कोर्ट को दिखा राहुल का बयान देशद्रोही?

लखनऊ की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि राहुल गांधी का बयान भारतीय सेना और उनके परिवारों की भावनाओं को आहत करता है। कोर्ट के मुताबिक, यह सेना के मनोबल को गिरा सकता है, इसलिए राहुल गांधी को आरोपी के तौर पर तलब किया गया।

हाईकोर्ट क्यों नहीं बनी ढाल?

राहुल गांधी ने इस समन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली। निचली अदालत का समन बरकरार रहा और उन्हें पेश होना पड़ा।

राहुल गांधी की पेशी केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। यह मामला दिखाता है कि राजनीतिक मंच से बोले गए शब्दों की कीमत कितनी बड़ी हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस केस में आगे क्या रुख अपनाती है।

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चूंकि यह मामला भारतीय सेना से जुड़ा है, इसलिए इसमें गंभीरता और संवेदनशीलता दोनों जुड़ी हुई हैं। आने वाले दिनों में कोर्ट की सुनवाई, राहुल गांधी की सफाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं इस प्रकरण को और भी महत्वपूर्ण बना सकती हैं।

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