सार
यूपी के शाहजहांपुर में लाट साहब को जूता मारने की तैयारियों के बीच मस्जिदों को ढकने का काम जारी है। इस बीच जुलूस की तैयारियों को लेकर पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।
शाहजहांपुर: होली के मौके पर यूपी के शाहजहांपुर में लाट साहब का जुलूस काफी संवेदनशील माना जाता है। इसको शांतिपूर्वक संपन्न करवाने के लिए पुलिस और प्रशासन ने जद्दोजहद शुरू कर दी है। एक ओर जहां पीस कमेटी की बैठक कर शांति व्यवस्था की अपील की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर बरेली मंडल के अधिकारी लगातार जुलूस को लेकर हो रही तैयारियों का जायजा ले रहे हीं। इस बीच जुलूस के रास्ते में पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पॉलिथीन से ढका जा रहा है।
मस्जिदों को ढकने के साथ लगवाए गए सीसीटीवी कैमरे
मस्जिदों और मजारों को ढकने का कारण है कि इन पर कोई भी रंग न डाले और कोई विवाद न खड़ा हो। इस बीच रूट पर कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। आपको बता दें कि इस तरह से मस्जिद और मजारों को ढकने की परंपरा बीते 3 सालों से चली आ रही है। मुस्लिम धर्मगुरुओं की ओर से मस्जिद को ढकने का विरोध भी किया जा रहा है। ज्ञात हो कि शाहजहांपुर में 100 सालों से लगातार जूता मार होली को खेला जाता है। इस बीच लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर 7 किमी का जुलूस भी निकाला जाता है। जुलूस में हुड़दंगियों के चलते आपसी सद्भाव न बिगड़े इसी को लेकर मस्जिदों को ढकना शुरू कर दिया गया।
क्या है सालों से चली आ रही परंपरा
बताया गया कि शाहजहांपुर में तकरीबन 12 जुलूस निकाले जाते हैं और इसको लेकर प्रशासन को बाहर से फोर्स भी बुलानी पड़ती है। बीते 3 सालों से मस्जिदों को ढकने का काम हो रहा है और इस बार भी जिले की तकरीबन 20 मस्जिद और 5 मजारों को पॉलिथीन से ढका गया है। हालांकि इसका विरोध किया जा रहा है। शाहजहांपुर में हर साल जूता मार होली खेली जाती है। होली पर भैंसा गाड़ी पर मंच बनाया जाता है और इस पर लाट साहब को हेलमेट पहनाकर बैठाया जाता है। लाट साहब को कोतवाली पुलिस सलामी देती है और इसके बाद जुलूस शहर में निकाला जाता है। इस बीच होरियारों के द्वारा उन्हें जूता मारकर अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश प्रकट किया जाता है। यह जुलूस चौक कोतवाली स्थित फूलमती देवी मंदिर से निकलता है और वहां लाट साहब मंदिर में मत्था टेकते हैं। पूजा अर्चना के बाद कोतवाली में कोतवाल लाट साहब को सलामी देने के साथ में नेग भी देते हैं। नेग लेकर लाट साबह बाबा विश्वनाथ के मंदिर में पहुंचते हैं और फिर चौक में आकर जुलूस समाप्त होता है।
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