सार

विभिन्न मांगों को लेकर यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल लगातार जारी है। इस हड़ताल के पीछे एक अहम वजह आईएएस अफसरों की तैनाती भी बताई जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि नीतियां अधिकारी बनाते हैं और नुकसान का खामियाजा उनके सिर पर आता है।

लखनऊ: प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के पीछे बड़ी वजह अभियंताओं के बजाए आईएएस अफसरों की तैनाती भी है। हड़ताल पर गए कर्मचारियों का कहना है कि चेयरमैन से लेकर प्रबंध निदेशक तक के पद पर आईएएस अफसरों को तैनात कर दिया गया है। वह अफसर साल-दो साल में बदलते रहते हैं। इस बीच वह अपने कार्यकाल में तरह-तरह के नियम कानून भी बनाते हैं। हालांकि उनके कायदे-कानून से जो निगम को घाटा होता है उसका खामियाजा कर्मचारियों के सिर पर फोड़ दिया जाता है।

समिति के जरिए ही चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की तैनाती की मांग

हड़ताल पर गए बिजली कर्मचारियों का आरोप है कि उनका दोहरा शोषण हो रहा है। हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों की मांग है कि ऊर्जा निगम में चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों का चयन समिति के जरिए किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि वर्ष 2015 से पूर्व चयन कमेटी के जरिए ही प्रबंध निदेशक चुने जाते थे। इसको लेकर बिजली अभियंता और आईएएस दोनों ही आवेदन करते थे। हालांकि बाद में व्यवस्था बदली और लंबे समय से सीधे शासन से प्रबंध निदेशक की तैनाती की जाने लगी। मौजूदा समय में जो पॉवर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के साथ सभी वितरण निगमों के प्रबंध निदेशक भी आईएएस अधिकारी ही हैं।

'कर्मचारियों पर फोड़ा जाता है घाटे का जिम्मा'

कर्मचारियों का तर्क है कि आईएएस अफसर निगम के महत्वपूर्ण पद पर रहते हैं तो वह नीति निर्धारण करते हैं। हालांकि इस बीच जो भी घाटा होता है उसका जिम्मा सीधे कर्मचारियों के सिर पर फोड़ दिया जाता है। घाटा होने पर उनकी कोई जिम्मेदारी निश्चित ही नहीं होती। इसी तरह से उत्पादन घटने और राजस्व घाटा होने पर कर्मचारियों की कटौती की जाती है। हालांकि प्रबंधन के वेतन भुगतान में कोई कटौती नहीं होती। संघर्ष समिति की प्रमुख मांगों में प्रबंधन के पदों पर चयन कमेटी के जरिए करने की मांग की जा रही है।

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