उत्तर प्रदेश के 30,000 से अधिक शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिली है. सरकार ने मूल विद्यालय वापसी का आदेश जारी किया है. अब शिक्षामित्र अपने गांव या ग्राम सभा में ही तैनात होंगे. महिला शिक्षामित्रों को पति के गांव में पोस्टिंग का विकल्प मिलेगा.
कभी गांव की पगडंडियों पर बच्चों को पहला अक्षर सिखाने वाले शिक्षामित्र जब तैनाती की उलझनों में दूर-दराज के जिलों में भटक गए, तो मानो अपने ही गाँव से रिश्ता टूटने लगा था. वर्षों की जद्दोजहद, धरनों और अंतहीन इंतजार के बाद आखिरकार वह क्षण आ गया जब सरकार ने उनके दिलों की धड़कनें शांत कर दीं. उत्तर प्रदेश में 30,000 से ज्यादा शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय वापसी का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो चुका है.
शासन ने देर रात जारी किया आदेश, महिला शिक्षामित्रों को बड़ी राहत
देर रात बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी ने वह बहुप्रतीक्षित आदेश जारी कर दिया, जिसमें साफ कहा गया कि अब शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या वार्ड में ही पढ़ा सकेंगे.
इस फैसले सबसे अधिक राहत उन महिला शिक्षामित्रों को मिली है, जो वर्षों से पति के घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर तैनाती झेल रही थीं. घर के पास नौकरी होने से उनका सफर मानो आधा ही रह जाएगा, और कई तो दोपहर का भोजन भी घर का होकर कर सकेंगी.
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हर स्कूल में अधिकतम दो शिक्षामित्र, जिला स्तर पर होगी प्रक्रिया
नए आदेश के अनुसार:
- हर स्कूल में अधिकतम 2 शिक्षामित्र रखे जाएंगे (नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 3).
- जहां मूल विद्यालय में जगह नहीं है, वहां उसी ग्राम सभा/ग्राम पंचायत/वार्ड के किसी भी परिषदीय विद्यालय में तैनाती होगी.
- विवाहित महिला शिक्षामित्रों को पति के गांव/वार्ड में तैनाती का विकल्प दिया गया है.
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति करेगी, जिसमें CDO, डायट प्राचार्य, BSA और सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी शामिल होंगे.
दो चरणों में पूरी होगी घर वापसी
सरकार ने यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी करने का निर्णय लिया है:
- पहला चरण: जिन शिक्षामित्रों के मूल विद्यालय या ग्राम सभा में पद रिक्त हैं, उनकी तुरंत तैनाती होगी.
- दूसरा चरण: शेष शिक्षामित्रों का समायोजन खाली पड़े पदों के आधार पर किया जाएगा. इस चरण के लिए सरकार जल्द अतिरिक्त दिशा-निर्देश जारी करेगी.
3 जनवरी 2025 को आया था आदेश, कार्रवाई अब शुरू
दरअसल, शिक्षामित्रों की मूल विद्यालय वापसी का शासनादेश 3 जनवरी 2025 को ही जारी हो गया था. इसके क्रियान्वयन को लेकर विस्तृत गाइडलाइन 12 जून 2025 को भी जारी कर दी गई थी. लेकिन जिला स्तर पर अधिकारियों की टालमटोल के कारण प्रक्रिया अटकती रही. अब जब उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने पुनः आंदोलन की चेतावनी दी, तो शासन सक्रिय हुआ और मंगलवार रात सख्त आदेश जारी कर दिया.
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