वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह गीत भारत की आजादी, एकता और कर्तव्यों का प्रतीक है। उन्होंने बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को नमन कर स्वदेशी का संकल्प लिया।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। आजादी के आंदोलन का प्रेरणास्रोत बने वन्दे मातरम् गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिवस को स्मृति दिवस के रूप में मनाने की प्रेरणा दी है। सीएम ने कहा कि वन्दे मातरम् भारत की आजादी का अमर मंत्र बन गया था। आजादी के समय विदेशी शासन की यातनाओं की परवाह किए बिना, हर भारतीय नागरिक इस गीत के साथ देश की सामूहिक चेतना जगाने के अभियान से जुड़ गया था।
लोकभवन में हुआ कार्यक्रम, राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन और स्वदेशी का संकल्प
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखे। इस दौरान राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन हुआ और स्वदेशी का संकल्प लिया गया। सीएम योगी ने राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को नमन किया और प्रदर्शनी का अवलोकन किया। लोकभवन में मौजूद लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित मुख्य कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी देखा।
सीएम योगी ने कोविड प्रबंधन का किया उल्लेख
मुख्यमंत्री ने 100 वर्ष पहले आई महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भारत की आबादी 30 करोड़ थी और करोड़ों लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में कोविड महामारी के दौरान भी सबने मिलकर संकट का सामना किया। शासन-प्रशासन और समाज के हर वर्ग ने मिलकर इसे नियंत्रित करने का कार्य किया। सीएम ने कहा कि ऐसा संवेदनशील नेतृत्व ही भारत और भारतीयता के प्रति सच्ची भावना रख सकता है।
आजादी के मंत्र को मजबूत करने वाला गीत है वन्दे मातरम्
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1875 में रचा गया यह गीत सिर्फ आजादी का गीत नहीं था, बल्कि इसने भारत की स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया। यह गीत संस्कृत और बांग्ला की अभिव्यक्ति के साथ पूरे भारत को “राष्ट्रमाता” के भाव से जोड़ने वाला बना। 1905 में जब ब्रिटिश हुकूमत ने बंग-भंग का फैसला किया, तब वन्दे मातरम् ने भारतवासियों को एकजुट होकर विरोध करने की प्रेरणा दी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर क्रांतिकारी के मुख से यह गीत गूंजता था।
भारत की एकता और सामूहिक चेतना का प्रतीक
सीएम योगी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के हर चरण में जब कोई नारा या झंडा दिया गया, तो वन्दे मातरम् उसका स्वर बन गया। यह गीत भारत की सामूहिक अभिव्यक्ति का प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को जाति, धर्म, मत और मजहब से ऊपर उठकर राष्ट्र के प्रति सोचने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् राष्ट्रमाता के प्रति भक्ति और शक्ति का सामूहिक प्रतीक है। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे भारत के राष्ट्रगीत के रूप में मान्यता दी।
वन्दे मातरम् ने दी भारत को नई दिशा और चेतना
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनंद मठ से लिया गया है, जिसमें उन्होंने भूख, अकाल और अभाव से जूझते समाज की पीड़ा को आवाज दी थी। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् भारत को नई दिशा देने और सामूहिक चेतना को जागृत करने में सफल रहा है। 150 वर्षों से यह गीत भारत की राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करता है वन्दे मातरम्
सीएम योगी ने कहा कि वन्दे मातरम् किसी उपासना या जाति विशेष का गीत नहीं है, बल्कि यह हमें हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है। उन्होंने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा 1949 में संविधान सौंपने के दिन का उल्लेख किया और प्रधानमंत्री मोदी के उस विचार का जिक्र किया कि देश के अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए। सीएम ने कहा कि उत्तर प्रदेश पिछले 8 वर्षों में जिन ऊंचाइयों पर पहुंचा है, वह हमारे कर्तव्यों की भावना का परिणाम है।
कर्तव्यनिष्ठ नागरिक ही वन्दे मातरम् का सच्चा गायक
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब शिक्षक अपने छात्र को संस्कारवान बनाता है, जब जवान सियाचिन की ठंड में या राजस्थान की गर्मी में देश की सीमाओं की रक्षा करता है, जब किसान अपनी भूमि की उर्वरता बढ़ाकर अनाज पैदा करता है- तब वे सभी वास्तव में वन्दे मातरम् का गान कर रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि जब नागरिक स्वार्थ से ऊपर उठकर कर्तव्य के मार्ग पर चलता है, तभी वह राष्ट्रमाता के प्रति सच्ची भक्ति प्रकट करता है।
इस कार्यक्रम में मुख्य सचिव एस.पी. गोयल, प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद, पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण, कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
