सार

ज्ञानवापी से जुड़े प्रकरण की तीन मई को अब सुनवाई होगी। इसके अंतर्गत सात मामलों की सुनवाई एक साथ किए जाने की मांग की है। जिस पर जिला जज ने 19 पेज के आदेश में कहा था कि बिंदु का निर्धारण किया जाएगा कि एक साथ फैसला सुनाना उचित है या नहीं।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के जिले वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी से जुड़े एक ही प्रकृति के सात मामलों के साथ सुनवाई को लेकर अब तीन मई को फैसला आएगा। दरअसल इस मामले में पहले 21 अप्रैल को जिला जज की कोर्ट में सुनवाई होनी थी लेकिन उस दिन अवकाश की वजह से नहीं हो पाई। सोमवार को अधिवक्ता राजेंद्र सेठ के निधन की वजह से बार एसोसिएशन द्वारा शोक प्रस्ताव के मद्देनजर सुनवाई नहीं हो पाई। इसी कारणवश अब मामले को लेकर अगली सुनवाई तीन मई तय की गई है।

19 पेज के आदेश में जज ने दिया ये आदेश

इस मामले को लेकर जिला जज ने आदेश में स्पष्ट किया है कि जब सभी मामले स्थानांतरित होकर जिला जज की अदालत में आ जाएंगे तभी देखा जाएगा कि सभी मामले एक साथ सुने जाने योग्य हैं या नहीं। जज द्वारा दिए गए 19 पेज के आदेश में कहा गया है कि जिन अदालतों में मामले लंबित हैं, उन सभी को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया जाता है। साथ ही आदेश में यह भी है कि इनके स्थानांतरित होकर जिला जज की अदालत में आने के बाद इस बिंदु का निर्धारण किया जाएगा कि सभी वादों का एक साथ सुना जाना उचित है या नहीं।

कोर्ट में दाखिल है यह सभी वाद

आपको बता दें कि जिन सात मामलों को स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध जिला जज की अदालत से शृंगार गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, सीता साहू, रेखा पाठक व मंजू व्यास ने किया है। वह सभी एक ही प्रकृति हैं। जिसमें से पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी, तीसरा आदि विश्वेश्वर, चौथा विश्वेश्वर, पांचवां मां गंगा, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं। इसी पर जिला जज की अदालत ने बीते सोमवार को आदेश पारित किया था।

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