10 अक्टूबर, मंगलवार को मघा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे कालदण्ड नाम का अशुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन साध्य और शुभ नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल दोपहर 03:08 से 04:35 तक रहेगा।
Indira Ekadashi 2023 Kab Hai: श्राद्ध पक्ष एकादशी बहुत खास मानी गई हैं। इस एकादशी का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से पितरों की आत्मा सदा के लिए तृप्त हो जाती है।
Indira Ekadashi 2022 Katha: इस बार 21 सितंबर, बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा। श्राद्ध पक्ष में होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने पितरों को मोक्ष मिलता है।
Indira Ekadashi 2022: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। श्राद्ध पक्ष में होने के कारण इस एकादशी का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Indira Ekadashi Upay: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 सितंबर, बुधवार को है। श्राद्ध पक्ष में होने की वजह से इसका महत्व काफी अधिक माना गया है।
Indira Ekadashi 2022: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। ये तिथि एक महीने में 2 बार आती है यानी साल में कुल 24 एकादशी का योग बनता है। इन सभी एकादशियों का नाम व महत्व अलग-अलग है।
Indira Ekadashi 2022: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। एक साल में 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है। इस बार 21 सितंबर, बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा।
आज (2 अक्टूबर, शनिवार) को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) है। अभी पितृ पक्ष (Pitru Paksha) चल रहा है और इस पक्ष की एकादशी का महत्व काफी अधिक है। इस तिथि पर भगवान विष्णु (Vishnu) और पितरों के लिए भी शुभ करने की परंपरा है।
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2021) कहा जाता है। पितृपक्ष में आने के कारण इस एकादशी का महत्व अधिक होता है। इस बार इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर, शनिवार को है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। इंदिरा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है और वैकुंठ को प्राप्त होता है व उसके पितरों को भी स्वर्ग में स्थान मिलता है।