जन्मकुंडली में शनि देव के विपरीत भाव में होने से जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आती ही रहती हैं। विशेषतः शनि की साढ़ेसाती, ढय्या, महादशा में यह समस्याए अपने चरम बिंदु पर पहुच सकती है।
इस बार शनि जयंती 10 जून, शुक्रवार को है। इस दिन शनिदेव के उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और साढ़ेसाती व ढय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
इस बार 13 मार्च, शनिवार को फाल्गुन मास की अमावस्या है होने शनिश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है। ये साल 2021 की पहली शनिश्चरी अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बहुत खास मानते हैं।
इस बार 7 नवंबर को शनि पुष्य का शुभ संयोग बन रहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस नक्षत्र में किए गया कोई भी उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करता है।
इस बार 7 नवंबर को शनिवार होने से शनि पुष्य का शुभ योग बन रहा है। यह बहुत ही शुभ संयोग है, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, शनि पुष्य के शुभ योग में राशि अनुसार उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आपकी परेशानियां कम कर सकते हैं।
ज्योतिष में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं, इनमें शनि ग्रह को न्यायाधीश माना गया है। कुंडली में शनि की स्थिति का हमारे जीवन पर सीधा असर होता है।