सार

डॉक्टरों का कहना है कि दो साल के बच्चे में इसके संकेत दिखता सामान्य नहीं है। यह एक दुर्लभ केस है। यह अपने तय समय से करीब आठ साल पहले आया है, जो हैरान करने वाला है।

नई दिल्ली। कभी-कभी ऐसी चीजें सामने आती हैं, जिन पर भरोसा करना बेहद मुश्किल होता है। इस बार ब्रिटेन के ब्राइटन से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। डॉक्टरों को यहां महज दो साल के बच्चे में प्यूबर्टी के लक्षण सामने आए हैं। आपको बता दें कि प्यूबर्टी मतलब वह अवस्था जब बच्चों में यौवन का आरंभ होता है। बालकों में यह लक्षण 9 से 14 वर्ष की उम्र के बीच में चरणबद्ध तरीके से सामने आता हैं। 

डॉक्टरों का दावा है कि ब्राइटन सिटी में दो साल के बच्चे में यौवन आरंभ होने के लक्षण सामने आए हैं। उसके प्राइवेट पार्ट पर बाल आने शुरू हो गए हैं। यहीं नहीं लिंग का आकार भी इस उम्र में सामान्य से अधिक है। हालांकि, डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि यह पहले भी हुआ है, मगर मामला दुर्लभ है और इसे ठीक करने का वे प्रयास कर रहे हैं। 

प्यूबर्टी को छोड़ बाकी चीजों में नॉर्मल था बच्चा 
बताया जा रहा है कि बच्चे की मां ने जब उसमें यह लक्षण देखे तो वह चौंक गई। उसे चिंता हुई कि बच्चे को कहीं कोई खतरनाक बीमारी तो नहीं, जिसमें उसका शरीर तेजी से विकसित हो रहा हो। उसे यह लक्षण सामान्य नहीं दिखा, क्योंकि बच्च्चे की लंबाई, वजन और दूसरी चीजें ठीक वैसी ही थीं, जैसी दो साल की उम्र के बच्चे में होनी चाहिए। सिर्फ प्यूबर्टी को छोड़ दें तो बच्चा अपने उम्र के हिसाब से बाकी चीजों में नॉर्मल था। इससे महिला की चिंता और बढ़ गई। 

उम्र के हिसाब से बच्चे का वजन अब तक सही रहा
महिला तुरंत डॉक्टर के पास गई। उसने बताया तो डॉक्टर भी हैरान रह गए। महिला के मुताबिक, बच्चा जब एक साल का था, तब उसका वजन करीब 12 किलो था। यह सामान्य लक्षण थे। इसके बाद एक से डेढ़ साल के बीच उसका वजन प्रतिमाह 0.9 किलो की दर से बढ़ रहा था। उसके शरीर में वसा नहीं था बल्कि, मांसपेशियां थी और यह भी अच्छा संकेत था। इसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे के खून की जांच कराई। इसमें सामने आया कि उसके ब्लड में  टेस्टोस्टेरोन अधिक था। यह पुरुषों में प्राथमिक सेक्स हार्मोन होता है और प्यूबर्टी के दौरान तेजी से बढ़ता है।  मगर सवाल यह था कि इतनी अधिक मात्रा में उसके खून में ये हार्मोन आया कैसे। 

डॉक्टरों का अनुमान, पिता की गलती से हुआ ऐसा 
बहरहाल, डॉक्टरों का अनुमान है कि यह कृत्रिम टेस्टेस्टेरोन से जुड़ी प्रक्रियाओं के संपर्क में आने से हुआ होगा। जांच में पता चला कि बच्चे के पिता को बचपन से ही टेस्टिक्यूलर कंडीशन की बीमारी थी। इसके लिए वह बीते कई साल से रोज त्वचा पर टेस्टोस्टेरोन जेल लगाते थे। यह शरीर में कंधे, हाथ और पेट पर लगाया जाता है। संभवत: जेल लगाने के बाद बच्चे को जब वे गोद में लेते होंगे तब उसकी त्वचा भी इसे अपने अंदर सोख लेती होगी और इस तरह उसके अंदर प्यूबर्टी के लक्षण समय से पहले आ गए होंगे। 

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