सार
अमेरिका में भारी संख्या में लोगों ने नौकरियों से इस्तीफा दिया है। ये साल भर से जारी है, लेकिन पिछले महीने इस्तीफा देने वालों की संख्या बढ़ गई। इसे The Great Resignation नाम दिया गया है।
नई दिल्ली. किसी भी देश में रोजगार (Employment) एक बड़ी चुनौती मानी जाती है, लेकिन अगर लोगों को पास नौकरी का मौका (Job Opportunity) हो, लेकिन वे नौकरी ही न करना चाहे तब आप क्या कहेंगे। आजकल अमेरिका (America) में कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां इस साल अब तक 3.4 करोड़ लोग इस्तीफा दे चुके हैं। सितंबर महीने में ही 44 लाख लोगों ने नौकरी छोड़ दी। दुनया के 41 प्रतिशत कर्मचारी इस साल अपनी नौकरी छोड़ना (Quit Jobs) चाहते हैं। इतनी भारी संख्या में हो रहे रिजेग्नेशन को द ग्रेट रिजेग्नेशन (The Great Resignation) नाम दिया गया है।
ग्रेट रिजेग्नेशन क्यों दिया जा रहा है?
फॉक्स बिजनेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह कोरोना महामारी है। दरअसल, महामारी में कई लोगों ने अपने करियर का दोबारा मूल्यांकन किया। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। कुछ कर्मचारियों ने घर से काम करने की मांग की। उन्हें अच्छी सैलरी का भी लालच दिया गया। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इतनी ज्यादा संख्या में हुए इस्तीफों को ग्रेट रिजेग्नेशन नाम दिया गया। नौकरी छोड़ने की दर ऑल टाइम हाई 3 प्रतिशत थी। दरअसल, द ग्रेट रिजेग्नेशन को लेकर साल 2019 में टेक्सास के प्रोफेसर एंथनी क्लॉट्स ने भविष्यवाणी कर दी थी। दो साल में ये सच साबित हुई। नौकरी छोड़ने की वजहों में एक परिवार और काम के बीच संतुलन न बना पाने को भी बताया जा रहा है।
लोग कैसी नौकरी चाहते हैं?
Limeade की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 40 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्होंने बर्नआउट की वजह से नौकरी छोड़ी। लोगों को ऐसी नौकरी चाहिए जिसमें काम के घंटे कम हो। फ्लैक्सिबिलिटी हो। हफ्ते में काम के दिनों की संख्या कम हो। यानी उनके लिए परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने का वक्त हो। बहुत ज्यादा वर्क लोड न हो कि वे परिवार को समय ही न दे पाए।
कंपनियों को क्या चैलेंज आ रहा?
श्रम विभाग के जॉब ओपनिंग एंड लेबर टर्नओवर सर्वे के मुताबिक, सितंबर में कुल नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 164,000 से बढ़कर रिकॉर्ड 4.4 मिलियन यानी 44 लाख पर पहुंच गई। अमेरिका में अभी 10.4 मिलियन पोस्ट खाली हैं। फॉच्यून और डेलोइट ने एक सर्वे किया। 117 सीईओ पर किए सर्वे में पता चला कि स्किल्ड लेबर की कमी की वजह से आने वाले 12 महीने में उनका बिजनेस प्रभावित हो सकता है। 57 प्रतिशत सीईओ का मानना है कि सही टैलेंट का मिलना उनके लिए सबसे बड़ी चनौती है। वहीं 51 प्रतिशत लोगों का कहना है कि अच्छे लोगों को नौकरी छोड़ने से रोकना बड़ा चैलेंज है।
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