अमेरिका में बसीं भारतीय महिला प्रज्ञा गुप्ता ने अपनी 5 आदतें नहीं छोड़ी हैं। उनके अनुसार, जुगाड़, बचत और घर का खाना जैसी आदतें विदेश में उनकी पहचान को खत्म नहीं करतीं, बल्कि और मजबूत बनाती हैं।
एक महिला ने खुलासा किया है कि अपने देश से बहुत दूर जाने के बावजूद, वह अपनी ज़िंदगी से कुछ चीज़ें नहीं निकाल पाई हैं। यह खुलासा भारत से अमेरिका जाकर बस चुकीं प्रज्ञा गुप्ता ने किया है। उन्होंने अमेरिका के एक बीच पर स्विमसूट में दौड़ते हुए अपने एक छोटे से वीडियो के साथ एक नोट में उन पांच चीज़ों के बारे में बताया जो उन्होंने अभी तक नहीं छोड़ी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अपना देश छोड़कर दूसरे देश में बसने का मतलब यह नहीं है कि हम वो नहीं रहते जो हम हैं।
जो आदतें नहीं बदलीं
महिला ने लिखा कि विदेश जाने से किसी की पहचान खत्म नहीं हो जाती, बल्कि कुछ पुरानी आदतें इंसान को विदेश में और भी मजबूत बनाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब आप एक नए देश में जाते हैं, तो आपको अक्सर টিকে रहने के लिए पुरानी आदतें छोड़नी पड़ती हैं, लेकिन कुछ आदतें विदेशी जीवन को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी होती हैं। साथ ही, उन्होंने उन पांच आदतों और उनके कारणों के बारे में भी बताया जिन्हें उन्होंने कसकर पकड़ रखा है।
महिला लिखती हैं कि वे पांच आदतें जिन्हें वह छोड़ने को तैयार नहीं हैं, वे हैं - घर में जूते न पहनना, भारतीय 'जुगाड़' वाली मानसिकता बनाए रखना, खर्च करने से ज़्यादा बचत करना, नियमित रूप से घर का बना खाना खाना और परिवार के साथ जुड़े रहना। प्रज्ञा गुप्ता बताती हैं कि घर में जूते न पहनने से घर और जूते दोनों साफ रहते हैं और घर का बना खाना सेहतमंद होता है और यह उन्हें अपनी जड़ों से भी जोड़े रखता है।
खर्च कम, बचत ज़्यादा
वह लिखती हैं कि अमेरिका में उन्हें अपनी भारतीय जुगाड़ वाली मानसिकता एक सुपर पावर की तरह महसूस हुई। क्योंकि यह उन्हें समस्याओं को जल्दी हल करने, चीज़ों के साथ जल्दी तालमेल बिठाने और किसी भी स्थिति का अपने लिए सबसे अच्छा उपयोग करने में मदद करती है। अमेरिका में मौजूद ढेरों विकल्प और उपभोक्तावाद आपको बिना सोचे-समझे खर्च करने के लिए उकसा सकते हैं। लेकिन, उन्होंने बताया कि भारत में बचत करने का अनुशासन आपको बड़े वित्तीय दबाव से बचाता है। वह बताती हैं कि वह खर्च करने से ज़्यादा बचत करके इस समस्या से निपटती हैं।
भारत में रिश्तेदारों से जुड़ने के लिए दो अलग-अलग टाइम ज़ोन कोई समस्या नहीं है। नियमित वीडियो कॉल, कुछ इमोजी, छोटे-मोटे अपडेट्स... यह सब देश और रिश्तेदारों के साथ रिश्ता बनाए रखता है। इससे भावनात्मक रूप से मजबूती मिलती है। इन बातों को समझाते हुए वह कहती हैं कि विदेश में रहना आपकी पहचान को खत्म नहीं करता, बल्कि आपको और सशक्त बनाता है। अमेरिका के ह्यूस्टन में रहने वाली प्रज्ञा गुप्ता चार महाद्वीपों समेत 24 देशों की यात्रा कर चुकी हैं।
