सार
जमात ए इस्लामी पार्टी के सिनेटर मुश्ताक अहमद (Jamaat-i-Islami Senator Mushtaq Ahmed) ने बिल को इस्लाम विरोधी और शरिया कानून के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि एक बलात्कारी को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए।
इस्लामाबाद (Islamabad). बलात्कार पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान (Pakistan) सरकार ने कड़ा फैसला लिया है। पाकिस्तानी संसद (Pakistan Parliament) ने एक ऐसा विधेयक पास किया है, जिसके तहत बलात्कारियो को नपुंसक (Chemical Castration) बना दिया जाएगा। इसका उद्देश्य बलात्कार के मामलों में जल्द से जल्द फैसला करना और दोषियों को कड़ी सजा देना है। विधेयक के मुताबिक, पाकिस्तान में बलात्कार के दोषी (Rape Cases) को रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाया जाएगा।
पाकिस्तान के नए बिल में क्या है?
संसद में नया कानून पारित होने के बाद पाकिस्तान में कई बलात्कार के दोषियों को रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाया जा सकता है। ये विधेयक देश में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए पास किया गया है। बिल में कहा गया है कि केमिकल कैस्ट्रेशन एक प्रक्रिया है, जिसे मंजूरी दी गई है। इसमें दोषी को उम्र भर के लिए सेक्स करने के नाकाबिल बना दिया जाता है। इसके लिए कोर्ट दवाओं के इस्तेमाल की मंजूरी देगा। हालांकि कट्टर इस्लामी गुट ने इसका विरोध किया है।
बिल का विरोध क्यों हो रहा है?
जमात ए इस्लामी पार्टी के सिनेटर मुश्ताक अहमद ने बिल को इस्लाम विरोधी और शरिया कानून के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि एक बलात्कारी को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए, लेकिन शरिया में बधिया करने का कोई जिक्र नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण कोरिया, पोलैंड, चेक गणराज्य और अमेरिका के कुछ राज्यों में ये सजा वैध है। साल 2016 में इंडोनेशिया ने भी बच्चों के खिलाफ बलात्कार के दोषियों को सजा देने के लिए रासायनिक तौर पर नपुंसक बनाने का कानून बनाया गया।
किस घटना के बाद पाकिस्तान में ये कानून बना?
पाकिस्तान में एक रेप की घटना के बाद इस कानून को लाने की जरूरत महसूस की गई। पिछले साल 8 सितंबर को लाहौर के बाहर हाईवे पर दो लोगों ने एक महिला के साथ बलात्कार किया। वह अपने दो बच्चों के साथ हाईवे से लाहौर आ रही थी। उसी दौरान उसकी कार खराब हो गई। वह रोड के किनारे खड़ी होकर मदद मांग रही थी, इसी दौरान उसके साथ बलात्कार किया गया। बच्चों के सामने ही मां के साथ जबरदस्ती की गई। इसी केस के विरोध में पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए। इंसाफ के लिए महिलाएं सड़कों पर उतरीं। यहीं से इस कानून की नींव पड़ी।
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