सार
Rani kamlapati Railway Station Code से लेकर इस स्टेशन का इतिहास। लोगों ने गूगल पर ऐसे कई सवाल पूछे, जिसका जवाब यहां दिया जा रहा है।
भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम रानी कमलापति (Rani kamlapati) के नाम पर कर दिया गया है। रानी कमलापति भोपाल में 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। वह गिन्नौरगढ़ के प्रमुख निजाम शाह की विधवा गोंड शासक थीं। सोमवार को पीएम मोदी भोपाल पहुंचे और वर्ल्ड क्लास स्टेशन रानी कमलापति (हबीबगंज) का लोकार्पण किया। इस दौरान गूगल पर लोगों के कई सवाल आए। लोगों ने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन और उससे जुड़े कई सवालों को लेकर उत्सुकता दिखाई। उन्हीं सवालों के एक के बाद एक जवाब नीचे दिया जा रहा है।
1- रानी कमलापति स्टेशन का कोड क्या है? (Rani kamlapati Railway Station Code)
रेलवे स्टेशन को इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ओन करता है। ये भारतीय रेलवे मिनिस्ट्री के अंतर्गत आता है। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (जिसे पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था) का स्टेशन कोड RKMP कर दिया गया है। पहले इसका कोड HBJ था, लेकिन अब पुराने कोड से टिकट बुक नहीं होगा।
2- रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किस राज्य में है? (Habibganj Railway Station In Which State)
गूगल पर कई लोग सर्च कर रहे हैं कि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किस राज्य में है। बता दें कि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में है। भोपाल में एक मेन स्टेशन है। उसके बाद रानी कमलापति रेलवे स्टेशन है, जिसे पहले हबीबगंज के नाम से जाना जाता था।
3- किसी स्टेशन का नाम कैसे बदल सकते हैं? (How Names of Railway Stations Are Changed)
हाल के दिनों में इलाहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया। वहीं मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रख दिया गया। भारतीय रेलवे इन स्टेशनों ने देखरेख करता है। लेकिन वह इनके नाम बदलने में भूमिका नहीं निभाता है। रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। राज्य सरकार अपने एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजता है। उसके बाद रेलवे मंत्रालय के मंत्री उसपर फैसला लेते हैं।
4- रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बाद क्या होता है? (Habibganj Railway Station Owner)
जब किसी रेलवे स्टेशन का नाम बदला जाता है तो भारतीय रेलवे उस स्टेशन के लिए नया कोड जारी करता है। इसके बाद टिकट बुकिंग से लेकर कम्प्यूटर सिस्टम तक, सब जगहों पर उस नए नाम को अपडेट किया जाता है। नए स्टेशन का कोड और नाम हर भाषा में एंटर किया जाता है। किसी भी रेलवे स्टेशन का नाम स्थानीय भाषा, हिंदी और अंग्रेजी में होना जरूरी है।
5- रानी कमलापति की फोटो? (Rani Kamlapati Photos)
6- रानी कमलापति का इतिहास क्या है? (Rani Kamlapati History In Hindi)
भोपाल गैस कांड पर "आधी रात का सच" किताब लिखने वाले और वर्तमान में मध्य प्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी (Vijay Manohar Tiwari) बताते हैं कि 50 साल तक शासन करने के बाद जब औरंगजेब की मौत हुई, तब भारी राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल बना। उस वक्त दोस्त मोहम्मद खान नाम का एक अफगान व्यक्ति था, जो दिल्ली में औरंगजेब के यहां काम करता था। औरंगजेब की मौत के बाद कई लोगों ने दिल्ली से पलायन किया। इधर-उधर गए। दोस्त मोहम्मद खान भी पलायन करके भोपाल के पास बैरसिया नाम की जगह पर आया। वो जगह थी मंगलगढ़। मंगलगढ़ एक छोटी सी राजपूत रियासत थी, जहां पर उसने नौकरी की।
दोस्त खान की अपनी इच्छा थी वह खुद की ताकत को फैलाए। इसलिए उसने अपनी एक छोटी से आर्मी बनाई। आर्मी बनाने के बाद भोपाल की तरफ सक्रिय हुआ। उस वक्त भोपाल इस रूप में नहीं था। वह जगदीशपुर नाम की जगह है, जिसे बाद में बदलकर इस्लामनगर रखा गया। वो गोंड रियासत थी। गोंड की देश में तीन ब्रांच रही है। उन्होंने ढाई सौ से लेकर पांच सौ सालों तक राज किया है। रानी कमलापति तत्काल भोपाल रियासत थी। ये पूरा उनका ही क्षेत्र था। उनके परिवार के साथ एक हादसा हुआ था। उनके पति की हत्या परिवार के ही व्यक्ति ने कर दी थी।
अब रानी कमलापति को अपने पति की मौत का बदला लेना था। इसके लिए उन्होंने दोस्त मोहम्मद खान से एक समझौता किया, जिसमें कहा गया कि दोस्त मोहम्मद खान उनके पति के हत्यारे को खत्म करेगा। बदले में एक लाख रुपए लेगा। लेकिन दोस्त मोहम्मद खान की इच्छा कुछ और थी। वह भोपाल पर कब्जा करना चाहता था। उसे लगा कि रानी कमलापति अकेली हैं। विधवा हैं। कमजोर हैं। इस चक्कर में दोस्त मोहम्मद खान का पूरा फोकस भोपाल पर हो गया। इसके बाद वहां पर क्या घटित हुआ है उसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं मिलता है। लेकिन कहानी ये है कि रानी कमलापति ने भोपाल के छोटे तालाब में आत्महत्या कर ली। हम कल्पना नहीं कर सकते हैं कि उस वक्त रानी कमलापति के साथ क्या हुआ होगा कि उन्हें मौत को चुनना पड़ा। उनका एक बोटा नवल शाह था। उम्र महज 18 साल थी, लेकिन वह लड़ते हुए मारा गया।
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