सार
वास्तु शास्त्र में दस दिशाएं बताई गई हैं। पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, नीचे और ऊपर। वास्तु के अनुसार घर में चार कोण होते हैं, ईशान कोण, नैऋत्य कोण, आग्नेय कोण और वायव्य कोण। उत्तर और पश्चिम दिशा के बीच वायव्य कोण होता है। ये कोण बहुत ही विशेष होता है।
उज्जैन. वास्तु शास्त्र में दस दिशाएं बताई गई हैं। पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, ईशान, नीचे और ऊपर। वास्तु के अनुसार घर में चार कोण होते हैं, ईशान कोण, नैऋत्य कोण, आग्नेय कोण और वायव्य कोण। उत्तर और पश्चिम दिशा के बीच वायव्य कोण होता है। ये कोण बहुत ही विशेष होता है। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…
1. वायव्य कोण में वायु का स्थान है और इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्र है। वायव्य कोण यदि गंदा है तो नुकसान होगा।
2. वायव्य कोण को खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बना सकते हैं। वायव्य कोण में गेस्ट रूम भी बना सकते हैं।
3. यदि वायव्य कोण का दरवाजा है और यहां कोई दोष भी न हो तो यह दिशा आपको धन-संपत्ति और समृद्धि प्रदान करेगी।
4. यह भी देखा गया है कि यह स्थिति भवन में रहने वाले किसी सदस्य का रूझान अध्यात्म में बढ़ा देती है।
5. इस दिशा में दोष होने पर शत्रुओं की संख्या बढ़ जाती है। शत्रुओं से विवाद होने के कारण सुख का अभाव होता है और परिवार के सम्मान में कमी होती है।
6. वायव्य कोण में तिजोरी हो तो ऐसे व्यक्ति का बजट हमेशा गड़बड़ाया हुआ रहता है और वह कर्जदारों द्वारा सताया जाता है।
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