सार
वास्तु शास्त्र में हर दिशा का महत्व और उसका स्वामी ग्रह बताया गया है। अगर उस दिशा में कोई दोष हो तो उससे संबंधित ग्रह के अशुभ फल मिलने लगते हैं।
उज्जैन. वास्तु शास्त्र के अनुसार, नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) का अधिष्ठाता ग्रह राहु है और यह काले रंग का एक क्रूर ग्रह है। कुण्डली में इसकी स्थिति के आधार पर गुप्त युक्ति बल, कष्ट और त्रुटियों का विचार किया जाता है। आगे जानिए नैऋत्य कोण से जुड़ी खास बातें…
1. नैऋत्य कोण में पृथ्वी तत्व की प्रमुखता है इसलिए इस स्थान को ऊंचा और भारी रखना चाहिए। नैऋत्य दिशा की भूमि नीची हो, तो वह घर के लोगों में भय के साथ धन-संपत्तिनाशक होती है।
2. इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा बना सकते हैं। ऑफिस में कैश काउंटर, मशीनें आदि आप इस दिशा में रख सकते हैं।
3. इस दिशा में गड्ढे, बोरिंग, कुएं, पूजा घर, अध्यन कक्ष इत्यादि नहीं होने चाहिए। इस दिशा में टॉयलेट बनवाई जा सकती है।
4. नैऋत्य कोण में दोष होने पर त्वचा व मस्तिष्क रोग आदि की सम्भावनाएं प्रबल रहती हैं।
5. इस जगह पर भारी सीढ़ियों की व्यवस्था की जा सकती है। हालांकि इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि नैऋत्य कोण में निर्मित सीढ़ियां क्लॉक वाइज घुमती हुई हों। यह आपके करियर के लिए बहुत शुभ सिद्ध होगी।
6. इस स्थान पर किचन का होना व्यक्ति के व्यावसायिक जीवन में अस्थिरता का कारण बनता है। ऐसे घर में रहने वाले शख्स अपनी पूरी योग्यता के अनुरूप काम नहीं कर पाता है। अतः यहां पर किचन का निर्माण करने से बचें।
7. इस दिशा के लिए जल एक विरोधी तत्व है और साथ ही अंडरग्राउंड वाटर टैंक के लिए किया जाने वाला गड्ढा भी नैऋत्य में नकारात्मक परिणाम देता है।
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