सार

वास्तु शास्त्र में दसों दिशाओं से युक्त किसी भी घर में एक वास्तु पुरुष की कल्पना की गई है, जिसकी नाभि ठीक मध्य भाग में आती है। इस स्थान को ब्रह्म स्थान कहा गया है।

उज्जैन. ब्रह्म स्थान से पूरे घर में सकारात्मक और प्राणदायी ऊर्जा का संचार होता है। यदि घर का मध्य भाग दूषित हो जाता है तो वहां से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा नकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होकर उस घर में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परेशान कर देती है। आगे जानिए ब्रह्मस्थान को शुद्ध रखकर आप क्या कर सकते हैं

1. यदि घर परिवार में खुशहाली और समृद्धि लाना चाहते हैं तो ब्रह्म स्थान को खुला रखना चाहिए। मध्य भाग में कोई भी सामान नहीं रखना चाहिए, खासकर भारी सामान तो बिलकुल नहीं।
2. मध्यभाग में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने के लिए तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। आजकल के घरों में मध्य में तुलसी का पौधा लगाना संभव नहीं है, तो उस स्थान में जल का कोई स्थान बनाने का प्रयास करना चाहिए।
3. घर के मध्य भाग में मुख्य हाल या पूजा कक्ष बनाया जा सकता है।
4. टायलेट, बाथरूम या बेडरूम मध्य भाग में बिलकुल नहीं बनाना चाहिए।
4. मध्यभाग में किचन बनाने से उस घर में भोजन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित रहता है।
5. मध्य भाग में सीढ़ियां बना लेने से मानसिक और आर्थिक परेशानियां बनी रहती है। तरक्की के मोहताज हो जाते हैं।
6. मध्य भाग में पीलर या बीम आदि नहीं होना चाहिए।

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