सार
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि आती है। इस तरह एक माह में दो चतुर्थी का योग बनता है। इन दोनों ही चतुर्थी तिथि पर भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi June 2022) के नाम से जाना जाता है। इन दोनों ही तिथि पर भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है। इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 3 जून, गुरुवार को है। इस दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ शाम को चंद्रमा की पूजा भी करनी चाहिए। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस चतुर्थी को संकट दूर करना वाला बताया गया है। आगे जानिए विनायकी चतुर्थी की व्रत विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त (Vinayaki Chaturthi June 2022 Shubh Muhurat)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 02 जून, गुरुवार को रात 12.17 से शुरू होगी, जो अगले दिन 03 जून, शुक्रवार को 02.41 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी व्रत 03 जून को किया जाना श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन पूजा का मुहूर्त सुबह 10.56 से दोपहर 01.43 तक रहेगा।
ये है विनायकी चतुर्थी की पूजा विधि (Vinayaki Chaturthi June 2022 Puja Vidhi)
- विनायकी चतुर्थी की सुबह यानी 3 जून को जल्दी उठकर स्नान आदि काम करें और इसके
बाद पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सबसे पहले पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
- लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित कर उनके सामने घी का दीपक जलाएं और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद गणेश जी को फल-फूल और तिल के पकवानों का भोग लगाएं। पूजा में गणेश जी को 21 दूर्वा की गांठे विभिन्न नामों को बोलते हुए अर्पित करें। अंत में आरती कर प्रसाद भक्तों में बांट दें।
- विनायकी चतुर्थी का व्रत शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए पूरा करें। इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है। इस प्रकार सच्चे मन से विनायकी चतुर्थी का व्रत करेन से से आपके सभी संकट दूर हो सकते हैं।
भगवान श्रीगणेश की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
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