सार
माफी मिलने के इंतजार में 75 साल के कैदी की मौत जेल में ही हो गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। कैदी ने उत्तर प्रदेश सरकार से क्षमा आवदेन की प्रार्थना की थी। इसी मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य उचित उपचारात्मक कदम उठाए।
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कैदियों के एक आदेश में कैदियों द्वारा दायर याचिका पर जल्द निर्णय लेने के निर्देश दिए है। दरअसल देश के सर्वोच्च अदालत एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी। जिसमें एक 75 साल के कैदी की मौत माफी मिलने के इंतजार के कारण जेल में ही हो गई।
समय से पहले माफी के आवेदनों का हो निपटारा
कैदी ने उत्तर प्रदेश सरकार से क्षमा आवदेन की प्रार्थना की थी। इसी मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य उचित उपचारात्मक कदम उठाए। साथ ही राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए कि समय से पहले माफी के आवेदनों का निपटारा शीघ्रता से किया जाए।
कोर्ट ने दिए आदेश कि सरकार उचित कदम उठाए
उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आठ सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने यूपी राज्य के मुख्य सचिव से यह बताने को कहा है कि, क्या अधिकारियों की ओर से मृतक 75 वर्षीय कैदी द्वारा दाखिल अर्जी पर विचार करने और निर्णय लेने में कोई देरी और चूक हुई है।
कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं लिया गया निर्णय
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ याचिकाकर्ता इरशाद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिसपर सुनवाई के दौरान मृतक कैदी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले पर कोर्ट के निर्देश के बावजूद समय से पहले रिहाई या सजा माफी के आवेदन पर सही समय परनिर्णय नही लिया जा सका। जिसकी वजह से उसकी जेल में ही मौत हो गई।
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