सार

कानपुर में हुई हिंसा की वारदात के बाद अलीगढ़ में जुम्मे की नमाज में भीड़ पर प्रतिबंध की मांग उठी है। इसको लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है। पत्र में जुम्मे की नमाज में मस्जिद में नमाजियों की संख्या निर्धारित करने की भी अपील की गई है। 

अलीगढ़: अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय सचिव महामंडलेश्वर डॉ. पूजा शकुन पाण्डेय उर्फ उमा भारती ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन लिखा है। उन्होंने अपने खून से लिखे ज्ञापन में जुम्मे की नमाज के नाम पर होने वाली भीड़ पर प्रतिबंध की मांग की है।

जुम्मे की नमाज में भीड़ पर प्रतिबंध की उठी मांग
लिखे गए पत्र में कहा गया कि जुम्मा इस देश में आतंक का पर्यायवाची बन गया है। आए दिन अखबारों में जुम्मे की नमाज के बाद तनाव को लेकर खबरे सामने आती है। अभी तक हिंदुओं के जितने भी कत्लेआम हुए हैं वह जुमे की नमाज के बाद हुए। लिहाजा इस पर रोक लगानी चाहिए। घटना का उदाहरण देते हुए बताया गया कि 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग के नेता सोहरवर्गी ने जुम्मे की नमाज के बाद हिंदुओं के कत्लेआम की घोषणा की थी। डायरेक्ट एक्शन के नाम पर भी 11 अक्टूबर 1946 में जुम्मे की नमाज के बाद नोआखाली में 50,000 से ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम हुआ। इसी के साथ दर्जनों घटना का जिक्र उनके द्वारा किया गया।

मस्जिद में नमाजियों की संख्या निर्धारित करने की अपील 
पत्र में अखिल भारत हिंदू महासभा ने महामहिम राष्ट्रपति से जुम्मे की नमाज में होने वाली भीड़ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। मस्जिद में जुम्मे के दिन छोटी मस्जिदों में 10 लोग और बड़ी मस्जिद में 25 से 50 लोगों से अधिक की संख्या न होने दी जाए। कहा गया कि जुम्मे की नमाज ने कानून व्यवस्था को लेकर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है लिहाजा ऐसी इबादत पर प्रतिबंध लगना चाहिए। ज्ञापन को जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को भेजे जाने की बात सामने आई। इसे एसीएम प्रथम के द्वारा प्राप्त किया गया है। 

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