सार
अमरोहा में अदालत ने महज 14 दिन के अंदर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शहर में आरोपी अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ लगातार सात महीने से दुष्कर्म कर रहा था। इसकी जानकारी घर के बाकी सदस्यों को तब हुई जब बेटी गर्भ से हो गई। पीड़िता ने थाने में जाकर शिकायत दर्ज की।
अमरोहा: उत्तर प्रदेश में बीते दिनों से दुष्कर्म के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। लेकिन पीड़ितों द्वारा दी गई तहरीर पर कोर्ट द्वारा इतनी जल्दी फैसला नहीं दिया गया। लेकिन राज्य के अमरोहा जिले में दुष्कर्म मामले में आरोपी पिता को कोर्ट ने महज 14 दिन के अंदर ही उम्र कैद ही सजा सुना दी। इतना ही नहीं आरोपी पिता पर 53 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यह ऐतिहासिक फैसला शहर के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष (पॉक्सो एक्ट प्रथम) अवधेश कुमार की अदालत ने सुनाया है। यह मामला अदालत में चार्जशीट फाइल होने के 6 दिन के भीतर ही फैसला सुना दिया गया। इतने कम समय में सजा सुनाए जाने का यह राज्य का पहला मामला है।
परिजनों के बाहर होने पर देता था वारदात को अंजाम
दरअसल शहर के डिडौली कोतवाली क्षेत्र के गांव निवासी युवक ने 14 जून की रात डिडौली कोतवाली में पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि पिता ने अपनी नाबालिग बेटी के साथ डरा-धमका कर दुष्कर्म किया था। इतना ही नहीं अपनी ही बेटी के साथ पिता ने सात महीने से लगातार दुष्कर्म करता आ रहा था। इसकी जानकारी बेटी के गर्भवती होने पर हुई थी। बेटी का अल्ट्रासाउंड कराया गया तो सात माह के गर्भ की पुष्टि हुई थी। पीड़िता द्वारा थाने में तहरीर के बाद आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया था। पीड़िता ने शिकायत में बताया था कि जब भी घर के बाकी सदस्य बाहर होते थे तभी वह अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देता था। इतना ही नहीं किसी को बताने पर उसने जान से मारने की धमकी भी देता था।
पांच दिन में अदालत में दाखिल की थी चार्जशीट
पुलिस ने आरोपी पिता के खिलाफ दर्ज मुकदमे के आधार पर उसे गिरफ्तार कर 15 जून को जेल भेज दिया था। मुकदमे की विवेचना एसएसआइ सुक्रमपाल राणा कर रहे थे। सिर्फ पांच दिन में उन्होंने ठोस विवेचना कर 20 जून को ही अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी। उसके बाद 23 जून को अदालत सुनवाई शुरू कर दी गई। उसके छठे दिन यानी मंगलवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्रथम अवधेश कुमार सिंह ने पिता को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 53 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी करने वाले विशेष लोक अभियोजक बसंत सिंह सैनी ने बताया कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद महज छह दिन के अंदर आरोपी को सजा सुनाए जाने का राज्य का यह पहला मामला है।