सार
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने फतवा देते हुए कहा कि कोरोना से मौत पर भी पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार डॉक्टरों की गाइडलाइन के हिसाब से किया जाएगा
लखनऊ(Uttar Pradesh). लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महल ने शुक्रवार को कोरोनावायरस से संक्रमित किसी मुसलमान की मौत होने पर उसे दफनाने को लेकर फतवा जारी किया है। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने फतवा देते हुए कहा कि कोरोना से मौत पर भी पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार डॉक्टरों की गाइडलाइन के हिसाब से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के मौत के बाद उसके शरीर से वायरस भी खत्म हो जाता है। ऐसे में WHO की गाइडलाइन का पालन करते हुए डॉक्टरों की निगरानी में शव को दफनाया जाए।
बता दें कि लखनऊ में कोरोना से हुई पहली मौत के बाद बुजुर्ग के शव को ऐशबाग़ के कब्रगाह में दफ़न नहीं करने दिया गया था। स्थानीय लोगों ने दफनाने का विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने उसे दूसरे कब्रगाह में दफ़न करवाया। इस घटना के बाद ही दारुल उलूम फरंगी महल की ओर से ये फतवा जारी किया गया है। ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने फतवा में कहा कि WHO की गाइडलाइन में भी ये कहा गया है कि मरने के बाद शरीर में वायरस नहीं रहते। ऐसे में डॉक्टरों के दिशानिर्देश पर कार्य करते हुए शव को दफनाने से न रोका जाए।
नामसमझी में शव को दफन नहीं होने दे रहे लोग
फरंगी महली ने कहा कि पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार उसके धर्म के मुताबिक डॉक्टरों के निर्देशन में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि WHO की गाइडलाइन के अनुसार किसी की मृत्यु के बाद उसके शरीर मे सारे वायरस खत्म हो जाते हैं। लेकिन लोग नासमझी में शव को कब्रिस्तान में दफन नही होने दे रहे। लोगों को डब्लूएचओ की गाइडलाइन को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाइडलाइन कहता है कि शरीर को प्लास्टिक के कवर में रखकर उसे दफनाया जाए। फरंगी महली ने कहा की मृत्यु के बाद शव जब अस्पताल से घर आता है तो जिस पैकेट में उसे बंद करके रखा जाता है, उसके ऊपर से ही शव को अंतिम स्नान कराया जाए। इसके बाद डॉक्टरों की टीम जिस तरह से कब्रिस्तान में दफन करने की इजाजत दे, उसी अनुसार दफन किया जाना चाहिए।