सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं की कमी व डेंगू की रोकथाम को लेकर रुख सख्त हुआ है। कोर्ट ने यूपी सरकार समेत नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं की कमी व डेंगू की रोकथाम मामले में सख्त रुख अपनाया है। दरअसल हाईकोर्ट जिम्मेदारों के जवाब व कार्रवाई से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। नगर निगम लखनऊ के अलावा कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिकारियों को किसी तरह ढलाई न बरतने का आदेश दिया है। इसके अलावा सरकारी व नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों को शहर में स्वच्छता व मच्छरों की बाढ़ रोकने को और जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि लखनऊ में अभी जरुरत के अनुसार नगर निगम फांगिंग नहीं करवा पा रहा है।
सरकारी अस्पतालों में जांच व दवाओं की सुविधा नहीं है पूरी
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। इसमें डेंगू व अन्य मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम समेत सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के मुद्दा उठाया गया है। अधिवक्ता एसके मिश्र का कहना था कि वर्तमान में राजधानी समेत राज्य में डेंगू, मलेरिया व वायरल बुखार के मरीज रोजाना बढ़ रहे हैं जबकि सरकारी अस्पतालों में जांच व दवाओं की सुविधा पूरी नहीं हो रही है। इसकी वजह से लोग काफी परेशान है और कार्ट ने सरकारी वकील से अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के उच्चीकरण को लेकर जवाब मांगा था।
याची- स्कूलों में की जा रही कारवाई का जिक्र भी नहीं दिया गया है जवाब
कोर्ट ने खासतौर पर प्लाज्मा की उप्लब्धता के बारे में, जिसकी मरीजों को सख्त जरूरत है। इसके साथ ही कोर्ट ने नगर निगम से भी पूछा था कि डेंगू से बचाव व बुखार को रोकने को क्या कदम उठाए गए हैं। इसके तहत राज्य सरकार व नगर निगम लखनऊ के अधिवक्ताओं ने जवाब पेश किया। दूसरी ओर याची का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद भी स्कूलों में मच्छर जनित बीमारियों को लेकर पर्याप्त उपाय नहीं किए जा रहे हैं। साथ ही स्कूलों में की जा रही कारवाई का जिक्र भी जवाब में नहीं किया गया है।
साल 2016 में मच्छर संबंधित बिमारियों को लेकर उठाए थे कदम
दरअसल पहले कोर्ट ने कहा था कि सरकारी वकील हलफनामे में यह जिक्र किया कि साल 2016 के संबंधित कानून के तहत डेंगू, मलेरिया व कालाजार इत्यादि को रोकने को क्या वांछित कदम उठाए जाने चाहिए थे। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या मच्छर जनित बीमारियों के नेशनल सेंटर के विशेषज्ञों से सिर्फ इन बीमारियों के इलाज के लिए सलाह मशविरा किया गया था या फिर इन सबकी रोकथाम के लिए भी राय ली गई थी। कार्ट ने हलफनामें में यह भी जिक्र करने के लिए कहा था कि लोगों को इन घातक बीमारियों से आगाह करने व इनसे बचाव को क्या उपाय सरकार ने किए हैं और क्या उपाय किए जाने हैं।
नगर निगम को तेजी से प्रयास करने के दिए थे निर्देश
इसी प्रकार कोर्ट ने नगर आयुक्त को भी जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का आदेश दिया था कि शहर में आम तौर पर स्वच्छता, जलनिकासी व मच्छरों की बाढ़ को रोकने को नगर निगम क्या कदम उठा रहा है? साथ ही स्कूलों में भी इन बीमारियों की रोकथाम के उपाय व जागरूकता संबंधी निर्देश देकर कारवाई रिपोर्ट तलब की थी। जिसके बाद चिकित्सा स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभागों समेत नगर निगम लखनऊ की तरफ से जवाब पेश किए गए। जिसको देखने के बाद कई कदम भी उठाए गए पर नगर निगम की तरफ से अभी और तेजी से प्रयास किए जाने की जरूरत है।
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