सार
मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में उतरने के बाद शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष किया है। उनके करीबियों ने उनसे संबंधित कई किस्से बताए जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह संघर्ष के साथ-साथ उन्होंने अपने संबंध भी बाखूबी निभाए है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुआ था। पहलवानी से राजनीति में उतरने के दौरान उनके संघर्ष भरे दिन चल रहे थे। इस दौरान वह इटावा से कानपुर ट्रक और बस से आया करते थे। नेताजी के शुरुआती राजनीतिक संघर्षों को लेकर उनके नजदीकी रहे हजरत दादा मियां की खानकाह के सज्जादानशीं सैयद अबुल बरकात नजमी ने बताया कि यह 60-70 के दशक की बात है। नेताजी को शिक्षक के रूप में सिर्फ 35 रुपए सैलरी मिलती थी। उनके पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे लेकिन बाद में उन्होंने एक पुरानी एंबेसडर खरीदी। उन्होंने बताया कि एक बार इसी एंबेसडर से आए थे और पेट्रोल खत्म हो गया था। तब हमने 50 रुपए का पेट्रोल डलवाया था।
जमीनी संघर्ष के साथ जमकर निभाए संबंध
नेताजी की एंबेसडर में पेट्रोल भरने के बाद लखनऊ गए थे। अबुल आगे बताते है कि वह अक्सर दारुल मौला आते। इस दौरान वहां राजानारायण भी आया करते थे। नेताजी उनकी बहुत इज्जत करते थे। इतना ही नहीं पैर भी दबा दिया करते थे। इसके अलावा उनकी खास बात यह थी कि गरीब से गरीब आदमी की मदद करते थे। उस वक्त एक परिचित रहे हैं। उनकी बेटी की शादी थी और उनको अचानक याद आया तो पूछा कि बेटी की शादी कब है, कैसा इंतजाम है। मैंने कहा कि उसकी माली हालत जैसी है और उसी हिसाब से इंतजाम किया होगा। यह बात सुनने के बाद नेताजी तुरंत उससे मुलाकात की और बेटी की शादी के लिए आर्थिक मदद भी की। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कोई एक-दो मामले नहीं हैं बल्कि उन्होंने बहुत लोगों की मदद की है। इन सबके अलावा वह मुझसे भी कहते थे कि पार्टी ज्वाइन कर लीजिए और मुख्यमंत्री बन जाओगो। नेताजी ने खूब जमीनी संघर्ष के साथ-साथ खूब संबंध भी निभाए और इससे आम आदमी उनसे जुड़ता चला गया।
महिला से नजराना लेने को लेकर कही थी बात
साल 1985 की बात है और तहारत मंच के संयोजक डॉ तारिफ मुस्तफा ने नेताजी को लेकर बताया कि मुलायम सिंह यादव क्रांति रथ लेकर फर्रुखाबाद जा रहे थे और जैसे ही नवाबगंज पहुंचे तो डीजल खत्म हो गया। उसके बाद वह टेंपो से चमनगंज स्थिति दारुल मौला गुड्डू अशरफ के घर आए और उसके पास इस समय तीन पेट्रोल पंप रहे हैं। उन्होंने उसके घर जाने के बाद उसकी पत्नी ने नेताजी की अशरफ से फोन पर बात कराई। जिसके बाद गुड्डू अशरफ अपनी मर्सिडीज कार से 20-20 लीटर के दो केन भरकर डीजल लाए और उसके बाद रथ रवाना हुआ। उसके बाद वर्ष 1989 में जनता दल से मुलायम सिंह इटावा से चुनाव लड़ रहे थे। तसलीम अशरफ और गुड्डू अशरफ के साथ सब इटावा गए। वहां पर नेताजी चुनावी रथ पर निकल रहे थे तो इस दौरान कुछ नजराना देना चाहा तो उन्होंने उनके हाथ से लेने के लिए मना कर दिया और बोले की हमारे यहां शुभ काम में नजराना महिला के हाथ से लिया जाता है। उसके बाद गुड्डू की पत्नी से नजराना स्वीकार किया। इस बार वह जनता दल से मुख्यमंत्री बने थे।
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