सार
बुधवार को अचानक प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भारी पुलिस बल के साथ परसौनी स्थित अनाथालय पहुंच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अधिकारी बच्चों को वहां से शिफ्ट कराने लगे। अधिकारियों ने महिला पुलिस के सहयोग से जब बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास किया तो वहां रह रहे बच्चों ने जाने से इनकार करते हुए हल्ला मचाना शुरू कर दिया।
लखनऊ. यूपी के कुशीनगर जिले के एक अनाथालय से करीब 25 बच्चों को निकालकर दूसरे जगह पर पहुंचाया गया है। करीब दो दशक से चल रहे इस अनाथालय में लावारिस फेंके गए बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है। यहां पले-बढ़े कई बच्चे बड़े होकर सम्मानित जीवन जी रहे हैं। हालांकि, अचानक से प्रशासन द्वारा हुई यह छापेमारी लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रशासन का कहना है कि अनाथालय संचालन करने वालों के पास उसके आवश्यक प्रपत्र नही था।
उधर, अनाथालय संचालिका ने प्रशासनिक अमले पर बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। बताया कि बच्चों को अपराधियों जैसा सलूक किया गया।
तीन दिन पहले बाल आयोग की सदस्य ने किया था अनाथालय का दौरा
तीन दिन पूर्व बाल सेवा आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी जिले में मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की स्थिति जानने के उद्देश्य से दौरे पर थीं। इस दौरान वह कुशीनगर जिला मुख्यालय पडरौना के पास स्थित परसौनी गांव में अनाथालय में भी पहुंची। कई बिंदुओं पर जांच किया। सबकुछ ठीक मिला। केवल अनाथालय का रजिस्ट्रेशन नहीं मिला। इस पर उन्होंने एसडीएम सदर को जल्द रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरा कराने का निर्देश दिया।
लेकिन अचानक पुलिस के साथ आ धमका प्रशासनिक अमला
बुधवार को अचानक प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भारी पुलिस बल के साथ परसौनी स्थित अनाथालय पहुंच गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अधिकारी बच्चों को वहां से शिफ्ट कराने लगे। अधिकारियों ने महिला पुलिस के सहयोग से जब बच्चों को बाहर निकालने का प्रयास किया तो वहां रह रहे बच्चों ने जाने से इनकार करते हुए हल्ला मचाना शुरू कर दिया। इस दौरान गांव के लोग भी जुट गए। लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में कई घंटों की मशक्कत के बाद 25 बच्चों को वहां से कहीं और ले जाया गया। इस दौरान बच्चे रोते-बिलखते रहे।
अनाथालय का कागजात नहीं है इसलिए हटाया जा रह
मीडिया ने जब अनाथालय पर कार्रवाई के संबंध में पूछा तो पहले तो एसडीएम कोमल यादव जवाब देने से बचते रहे। फिर बताया कि कागजात नहीं होने की वजह से बच्चों को हटाया जा रहा है। बच्चों का मेडिकल कराया जाएगा फिर आगे कार्रवाई की जाएगी।
संचालिका बोली- परिवार की तरह रहते हैं बच्चे
अनाथालय की संचालिका वसुमता शिरीन ने बताया कि लावारिस फेंके गए बच्चों को पालती हूं। समाज के लोग इन बच्चों के खाने-पीने-रहने का इंतजाम करने में मदद करते हैं। बच्चे परिवार की तरह रहते हैं। अनाथालय को चलाने के लिए जो सरकारी कागजात होने चाहिए उसमे से कुछ मेरे पास नही है, यह सत्य है। मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है। बाल आयोग की सदस्या सुचिता चतुर्वेदी को भी यह बात बताई थी। आज अचानक पुलिस बल के साथ प्रशासन के लोग पहुंचे। वसुमता ने कहा कि बच्चे हैं, उनको ले जाना ही था तो बहला फुसला कर प्रेम से ले जाते। इस तरह ज्यादती कर ले जाना अमानवीय लगा। एक मां कैसे यह बर्दाश्त कर सकती है। मैं भी तो उन बच्चों की मां ही हूं। आखिरकार पाल-पोस रही उनको।
वसुमता ने कहाः बच्चे चिल्लाते रहे लेकिन नहीं छोड़ा
वसुमता ने कहा कि उन लोगों ने बल का प्रयोग किया। बच्चे मां कहकर खुद को बचाने के लिए चिल्लाने लगे। पुलिस मकान में घुस गयी। मेरे दो बेटों, बहू और दो रिश्तेदारों को भी पुलिस उठा ले गयी ।
नेता-मंत्री, अधिकारी सब अनाथ बच्चों के लिए गिफ्ट बांटने पहुंचते थे
करीब दो दशक से अधिक समय से अनाथालय संचालित हो रहा। यहां अक्सर बड़े प्रशासनिक अफसर, सामाजिक कार्यकर्ता, नेता, कई मंत्री किसी पर्व-त्योहार या कार्यक्रम में पहुंचते थे और अपनी ओर से गिफ्ट इन बच्चों में बांटते थे। कई आईएएस अफसर यहां जिलाधिकारी या अन्य पदों पर रहते हुए लगातार यहां आते रहे और बच्चों की मदद करते रहे हैं। यहां तक की जिले के कई समाजसेवी यहां के बच्चों के लिए राशन आदि का इंतजाम करते रहे हैं। तमाम लोग जन्मदिन या अपनी खुशियों को साझा करने यहां पहुंचते रहे हैं।
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