सार

अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमति मंदिर के लिए बनने वाले प्रवेश द्वारा को गोपुरम स्टाइल में बनाया जाएगा। यह शैली दक्षिण भारत में काफी प्रचलित रही है। रंगनाथ स्वामी टेम्पल और मुरुदेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार भी गोपुरम शैली में ही बने हैं।  

नई दिल्ली/अयोध्या। श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है और इसका गर्भगृह दिसंबर, 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। गर्भगृह के अलावा मंदिर परिसर में होने वाले निर्माण कार्यों और मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार को किस शैली में बनाया जा रहा है, इसको लेकर एशियानेट न्यूज (Asianet News)के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि राम मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व में होगा, जिसे गोपुरम स्टाइल (Gopuram) में बनाया जाएगा। इस तरह के मंदिर साउथ में बहुत हैं। इन मंदिरों के प्रवेश द्वारा को गोपुरम कहते हैं। ये गोपुरम पिरामिड आकार के होते हैं। 

क्या है गोपुरम स्टाइल : 
गोपुरम (Gopuram) एक स्मारक द्वार है, जो शिखर पर विषम संख्या के साथ कलश के साथ स्थापित होता है। इसमें एक या उससे ज्यादा मंजिलें भी हो सकती हैं। दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली में बने मंदिरों के प्रवेश द्वारा को गोपुरम कहा जाता है। इनमें बेहतरीन शिल्पकारी और नक्काशी देखने को मिलती है। गोपुरम शैली के मंदिर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में हैं। 

सबसे पहले पल्लव वंश ने कराया गोपुरम का निर्माण : 
गोपुरम (Gopuram) के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले इनका निर्माण दक्षिण भारत में पल्लव वंश के पांड्य शासकों द्वारा किया गया। गोपुरम बनवाने का मकसद मंदिर के प्रवेश द्वारा को ढंकना भी था, क्योंकि गोपुरम की लंबाई-चौड़ाई काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से मुख्य मंदिर को सुरक्षा देने में आसानी होती है। गोपुरम कई तलों में होता है और जैसे-जैसे उपर की और जाएंगे तो यह संकरा होता जाता है। सबसे उपर ढोलक की तरह दिखने वाला शिखर होता है, जहां विषम संख्या में कलशों को स्थापित किया जाता है। 

रंगनाथ स्वामी मंदिर का गोपुरम सबसे ऊंचा : 
तमिलनाडु में कावेरी नदी के बीच टापू पर स्थित श्री रंगनाथ स्वामी (Rangnath) मंदिर के गोपुरम (Gopuram) को सबसे ऊंचा माना जाता है। इस मंदिर में विष्णु, राम, कृष्ण व लक्ष्मी जी विराजमान हैं। रंगनाथ स्वामी मंदिर का गोपुरम 239 फीट ऊंचा है। यहां मुख्य मंदिर को रंगनाथ स्वामी मंदिर कहते हैं, जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा शयन मुद्रा में विराजमान है। इस मंदिर को 9वीं सदी में गंग राजवंश ने बनवाया था। इसके बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक का मुरुदेश्वर टेम्पल है, जिसका गोपुरम 237 फीट ऊंचा है। वहीं तीसरे नंबर पर तमिलनाडु स्थित अन्नामलईयर टेम्पल है, जिसका गोपुरम 216 फीट है।  

गोपुरम स्टाइल में बने कुछ प्रमुख मंदिर :
दक्षिण भारत के राज्यों में गोपुरम स्टाइल (Gopuram) में कई मंदिर मौजूद हैं। इनमें श्री कैलासनाथ मंदिर गोपुरम थरमंगलम, तमिलनाडु में नटराज मंदिर, अन्नामलइयर मंदिर तिरुवन्नामलाई, रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीविल्लीपुतुर, वडक्कुनाथन मंदिर त्रिशूर, थिल्लई नटराज मंदिर चिदंबरम, कांचीपुरम, हम्पी, तिरुमाला, सिंहाचलम,अथी कोनेस्वरम, नंजनगुड, बिक्कावोलु, मुरुदेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। 

कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया। 

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।

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