सार

आजम खान की अखिलेश यादव से नाराजगी के बीच सभी दलों का उनके प्रति प्रेम देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि आजम खान की नाराजगी का खामियाजा अखिलेश यादव को भुगतना पड़ सकता है। असल में सभी के आजम के साथ इस प्रेम के पीछे की वजह मुस्लिम वोट बैंक है। 

गौरव शुक्ला

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को लेकर राजनीतिक चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं। प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने शुक्रवार को सीतापुर जेल पहुंचकर आजम खान से मुलाकात की। इससे पहले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने आजम खान के परिवार से मुलाकात की और रामपुर आने के बाद इस भेंट को अपनी जिम्मेदारी बताया। इतना ही नहीं बीते दिनों एआईएमआईएम की ओर से भी आजम खान को एक पत्र उनके परिजनों के माध्यम से भिजवाने की बात कही गयी। इस पत्र में आजम खान को एआईएमआईएम में शामिल होने के आमंत्रण दिया गया और जेल में उनसे मुलाकात के लिए समय मांगा गया। 

मीडिया प्रभारी ने अखिलेश यादव पर लगाया बड़ा आरोप 
आजम खान के प्रति सभी दलों का यह प्रेम उस दौरान सामने आ रहा है जब उनकी नाराजगी अखिलेश यादव के प्रति है। इस बात की पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि बीते दिनों खुद आजम खान के मीडिया प्रभारी ने अखिलेश यादव को लेकर बड़ा बयान दिया था। मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि आजम खान जेल से बाहर आएं। फसाहत ने आगे कहा था कि आजम खान के जेल से बाहर न आने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं। हम लोग कहां जाएं, किससे अपना गम बताएं। हमारे साथ तो समाजवादी पार्टी भी नहीं है। हमने सपा के लिए अपने खून का एक-एक कतरा बहा दिया। हमारे नेता आजम खान ने अपनी जिंदगी सपा को दे दी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने आजम खान के लिए कुछ भी नहीं किया। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को हमारे (मुस्लिमों के) कपड़ों से बदबू आती है। क्या सारा ठेका अब्दुल (मुस्लिम वोटर) ने ले लिया है कि वह वोट भी देगा और जेल भी जाएगा। 

आखिर क्यों है आजम के प्रति सभी दलों का प्रेम 
आजम खान के प्रति सभी दलों के इस प्रेम के पीछे की असल वजह उनका वोट बैंक हैं। यूपी चुनाव 2022 के परिणाम में देखा गया कि अखिलेश यादव को जो भी वोट मिला उसमें मुस्लिम वोट बैंक का अहम योगदान था। एआईएमआईएम के यूपी में चुनाव लड़ने के वाबजूद इस वोट बैंक ने सपा का ही साथ दिया। यहां तक मायावती ने भी इस बात का जिक्र किया कि मुस्लिम उनके साथ न आकर सपा के ही साथ हैं। इसके बाद जब आजम के मीडिया प्रभारी ने अखिलेश यादव से नाराजगी दिखाई तो कई नेताओं ने भी मुस्लिमों की उपेक्षा का आरोप लगा पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया। इसके बाद सभी राजनीतिक दलों की नजर अब आजम खान पर हैं। वह जानते हैं कि अगर आजम खान उनके साथ आ गए तो यह वोट बैंक उनकी पार्टी के पक्ष में आ जाएगा। 

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