सार
हिंसा के बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई में जुट गई है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। ऐसे में एक बात साफ हो गई है कि इन प्रदर्शनकारियों का अग्निवीर बनने का सपना अब कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
लखनऊ: अग्निपथ योजना के विरोध में यूपी भर में प्रदर्शन जारी है। इसको लेकर आज भारत बंद का ऐलान किया गया था। कई जगह पर इसका असर देखने को मिला। वहीं मथुरा में इसका खास असर देखने को नहीं मिला। रोजाना की तरह बाजार खुले नजर आए।
अग्निवीर बनने का सपना रह जाएगा अधूरा
हिंसा के बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई में जुट गई है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। ऐसे में एक बात साफ हो गई है कि इन प्रदर्शनकारियों का अग्निवीर बनने का सपना अब कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
गंभीर धाराओं में पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
पुलिस ने सख्ती के साथ हत्या की कोशिश, लूट, आगजनी, बलवा जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही अधिकांश जिलों में IPC की धारा 151 और 144 में एफआईआर दर्ज कर उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की है। ऐसे में सेना की भर्ती में अब प्रदर्शनकारियों का जाना संभव नहीं है क्योंकि पुलिस वेरिफिकेशन में इन्हे बाहर का रास्ता देखना होगा।
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने बताया कि अगर थाने में किसी भी मामले में रजिस्टर में नाम दर्ज हो गया तो फिर वो जाता नहीं है। बात चाहे आईपीसी की धारा 151 की हो या फिर 144 की हो। इन मामलों मे 6 महीने में मुकदमा खत्म हो जाता है। लेकिन उसके बावजूद तमाम दिकक्तों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए कहा कि सब चक्करों में न पड़े। इसी भर्ती में तमाम तरह के फयदे है। अगर मैं उनकी जगह होता तो इसमे जरूर भाग लेता।
क्या है की आईपीसी धारा 151
धारा 151 के अनुसार जहाँ कोई व्यक्ति कोई ऐसे समूह में शामिल होता है, जिसमें पांच या पांच से अधिक लोग जुड़े हुए हों, और जिनका मुख्य उद्देश्य जन शांति को भंग करना होता है। जब कोई गैर क़ानूनी जन सभा किसी समाज के लोगों में अशांति फ़ैलाने की कोशिश करती है, तो वहाँ की पुलिस ऐसे सभी अपराधियों को जो किसी भी प्रकार से उस गैर क़ानूनी जन सभा से जुड़े हुए हैं, तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 151, के अनुसार कारावास की सजा का प्रावधान दिया गया है।
जानिए क्या है आईपीसी की धारा 144
जिसकी समय सीमा को 6 बर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और कारावास के साथ ही आर्थिक दंड का प्रावधान भी दिया गया है, यह आर्थिक दंड न्यायालय अपने विवेक से और अपराधी की हैसियत और उसके जुर्म की गहराई को देखकर निश्चित करती है। वहीं, धारा 144 भारतीय दंड संहिता की धारा 143 का उग्र रूप है। इस खंड में स्पष्ट रूप से बल प्रयोग करने के इरादे से, हथियार या घातक हथियार जैसे पिस्तौल, बंदूकें, भाले, तलवारें से लेकर खंजर, किरपान, और कांटा आदि से सार्वजनिक शांति को भंग करने वाले व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान है। यह धारा किसी ऐसे व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान करती है जो किसी गैरकानूनी असेंबली में घातक हथियार से लैस हो।
आईपीसी की धारा 436
भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के अनुसार, जो भी कोई किसी ऐसे निर्माण का, जो मामूली तौर पर उपासनास्थान के रूप में या मानव-विकास के रूप में या संपत्ति की अभिरक्षा के स्थान के रूप में उपयोग में आता हो। उसे नाश कारित करने के आशय से, या यह सभ्भाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा उसका नाश कारित करेगा। अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या किसी भी अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।
475 उपद्रवियों की अब तक हुई गिरफ्तारी
अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ राज्य में अब तक 39 एफआईआर दर्ज की गई हैं। गोरखपुर, देवरिया, गौतमबुध नगर कमिश्नरेट, गाजीपुर, आगरा, फिरोजाबाद, फर्रुखाबाद में 1-1 एफआईआर जौनपुर में 7 एफआईआर वाराणसी कमिश्नरेट, चंदौली, मथुरा और अलीगढ़ में 4-4 FIR बलिया, मिर्जापुर में 2-2 एफआईआर दर्ज हुई हैं। वहीं हिंसा में शामिल 475 उपद्रवियों को पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है। इसमे से 330 लोगों को गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि बलिया में युवाओं ने भारत माता की जय और अग्निपथ वापस लो जैसे नारे लगाते हुए एक खाली ट्रेन में आग लगा दी थी।
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