जब दिग्विजय सिंह की वजह से सीएम नहीं बन पाए थे ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता, बागी होने के ये है बड़े कारण

ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस पार्टी ने उपेक्षा की साल 2018 के विधानसभा चुनाव में। वहीं साल 1993 में भी उनके पिता की उपेक्षा हुई थी।

/ Updated: Mar 10 2020, 04:13 PM IST

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वीडियो डेस्क।  एमपी का सियासी घटनाक्रम में आखिरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस्तीफा आ ही गया। होली के दिन दोपहर 12.10 बजे सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे की चिट्‌ठी ट्वीट कर दी। हालांकि, ये चिट्‌ठी 9 मार्च को ही लिख ली गई थी। महज 20 मिनट बाद कांग्रेस ने सिंधिया को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। 5 मिनट बाद ही दोपहर 12.35 बजे सिंधिया समर्थक 19 विधायकों ने हाथ से लिखा इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया। कांग्रेस के ये सभी विधायक सोमवार से ही बेंगलुरु में हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस पार्टी ने उपेक्षा की साल 2018 के विधानसभा चुनाव में। वहीं साल 1993 में भी उनके पिता की उपेक्षा हुई थी। 


ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता की भी हुई थी उपेक्षा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई। कई मैराथन बैठकों का दौर चलता रहा. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले कमलनाथ और ज्योतिरादित्य मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार थे। सीएम के नाम का  ऐलान हुआ और एक बार फिर सिंधिया परिवार राज्य का मुखिया बनने से चूक गया। वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया ने बताया कि सिंधिया की उपेक्षा नई नहीं हैं  कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी जबकि ज्योतिरादित्य को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। यह पहली दफा नहीं है, जब मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी सिंधिया परिवार के हाथ से फिसली थी।  ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया 1993 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को मिली जीत के बाद इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि उन्हें ही सीएम बनाया जाएगा। मगर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से उन्हें ये मौका मिलने नहीं दिया।