हिंडनबर्ग मामले में सेबी द्वारा अडानी समूह को क्लीन चिट दिए जाने पर, अधिवक्ता नितिन मेश्राम कहते हैं, "आज सेबी द्वारा अडानी समूह को दी गई क्लीन चिट सेबी का एक बहुत अच्छा फैसला है और मैं इसका समर्थन करता हूँ। मैं हिंडनबर्ग रिपोर्ट को कई अलग-अलग नज़रियों से देखता हूँ। पहला, मैं इसे भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ एक साजिश के रूप में देखता हूँ। दूसरा, मैं इसके इर्द-गिर्द चल रहे अभियान को भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने की एक बड़ी योजना के रूप में देखता हूँ, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय साजिश भी शामिल है। मैंने इसके बारे में कई बार लिखा है। मेरा मानना है कि लगाए गए आरोप, खासकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में, सभी मिथक हैं। उन आरोपों में कोई दम नहीं है। जब पक्ष इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट गए, तो उन्होंने एक एसआईटी बनाने या इसे सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नहीं, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। सेबी ही काफी है... मेरा मानना है कि इस मामले को यहीं खत्म कर देना चाहिए। यह स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए कि अडानी समूह ने कोई कदाचार किया है। और जो लोग मानते हैं कि अडानी समूह ने कोई कदाचार किया है, मेरा मानना है कि वे नियामक का सम्मान नहीं करते, देश के कानूनों का पालन करें, सेबी पर विश्वास न करें, और वे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतरते देखना चाहते हैं..."