कोरोनाकाल के बीच जमकर की सेवा, सड़क पर जिंदगी गुजार रहे एंबुलेंस चालकों ने बयां किया दर्द

मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एमसी गर्ग  से बात की गई तो वह कैमरे के सामने अपना बचाव करते दिखे और बोल बैठे कोई अलॉट नही किया जा सकता न किया है।  उनका कहना है की  एंबुलेंस के बारे में उनको आवास देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन जो भी उपलब्ध व्यवस्था रहती है। उसमे उनको परमिट कर दिया जाता है अलॉट नही किया जाता है। 

/ Updated: Jun 06 2022, 07:07 PM IST
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2 साल पहले अचानक कोरोना वायरस ने दुनिया के साथ-साथ भारत में भी त्राहि-त्राहि मचा दी थी। ऐसे में लोग डर के मारे घरों में कैद होकर रह गए थे और सड़कों पर थे तो वो थे सिर्फ कोरोना यौद्धा।  इन कोरोना योद्धाओं में स्वास्थ्य विभाग के हर कर्मचारी की भूमिका महत्वपूर्ण थी चाहे वह आउटसोर्सिंग हो या फिर संविदा कर्मचारी ही क्यों न हो और इन सब में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी एंबुलेंस चालकों की जो कोरोना पीड़ितों को घर से लाते और अस्पताल में भर्ती कराते और सही होने पर घर पर छोड़कर भी आते थे इसीलिए स्वास्थ विभाग ने 108 एंबुलेंस चालकों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला संयुक्त चिकित्सालय में ही रहने के लिए आवास उपलब्ध कराए थे क्योंकि इनकी ड्यूटी 8 घंटे की नहीं बल्कि 24 घंटे की थी। यह बात हर भारतीय को मालूम है लेकिन अब वही कोरोना योद्धा स्वास्थ्य विभाग के लिए किसी काम के नहीं रहे और इसीलिए इन्हें दिए गए आवास वापस ले लिए गए। यह कहना है विश्व विख्यात पीतल नगरी मुरादाबाद के एंबुलेंस चालकों का जो आजकल इस भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि आप खुद सुनिए एंबुलेंस चालकों की जुबानी , इन एबुलेंस चालकों का कहना है की हम कोविड के समय से 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात है और हमको इसीलिए यहां  रहने के लिए कमरे दिए गए थे ताकि हम समय से लोगो की सेवा कर सके , लेकिन आज हमको वहां से निकल दिया गया है और हम खुले आसमान के नीचे पड़े है ,  कैसे हम नौकरी करे 24 घंटे की ड्यूटी करे तो कहा सोने जाए और कहा आराम करे । तो वहीं प्रशासन से मांग की है की हमारे लिए भी सोचे ।

ऐसे में सवाल उठता है की स्वास्थ विभाग क्या कर रहा है क्या वास्तव में एंबुलेंस चालकों के आरोप सही हैं और स्थानीय प्रशासन ने नियमों को ताक पर रख दिया है, यह सवाल आपके जहन में भी घूम रहे होंगे । इसीलिए जब इस मामले में मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एमसी गर्ग  से बात की गई तो वह कैमरे के सामने अपना बचाव करते दिखे और बोल बैठे कोई अलॉट नही किया जा सकता न किया है।  उनका कहना है की  एंबुलेंस के बारे में उनको आवास देने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन जो भी उपलब्ध व्यवस्था रहती है। उसमे उनको परमिट कर दिया जाता है अलॉट नही किया जाता है। एएनएमटीसी  में जो ट्रेनिंग होने वाली है उसकी वजह से एएनएम की ट्रेनिंग के लिए तैयार की जा रही है । और जब भी व्यवस्था होगी देख लेंगे। लेकिन उसके अंदर अलॉट नही किया जा सकता।