Afghanistan Pakistan Tension: अफगानिस्तान के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए चेतावनी दी है कि अगर इस्लामाबाद ने अपनी समस्याएं अफगानिस्तान में लाई, तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
Afghanistan vs Pakistan Clash: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गए हैं। हाल के हफ्तों में सीमा पर हिंसक झड़पें, शांति वार्ता की नाकामी और तेज बयानों की जंग दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को उजागर कर रही हैं। इसी बीच, अफगानिस्तान के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने पाकिस्तान पर खुला हमला बोलते हुए कहा, 'अफगानिस्तान के लोग भले ही आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे हों, लेकिन वे विदेशी हमले के खिलाफ एकजुट हैं। अगर आपने अपनी समस्याएं अफगानिस्तान में लाई, तो भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।'
पाकिस्तान को बड़ी चेतावनी
काबुल में आयोजित फायरफाइटिंग डायरेक्टरेट ट्रेनिंग सेमिनार के समापन पर दिए भाषण में हक्कानी ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा, 'अगर आपने अपनी समस्याएं अफगानिस्तान में लाकर यहां उथल-पुथल मचाई, तो यह गलती आपको बहुत भारी पड़ेगी।' हक्कानी ने दावा किया कि अफगानिस्तान के पास भले ही लॉन्ग-रेंज मिसाइलें या आधुनिक हथियार न हों, लेकिन उनके पास इरादा और हिम्मत है। 'अगर हमारी सहनशीलता को परखा गया, तो जवाब तबाही लाने वाला होगा।'
तुर्की में शांति वार्ता फेल
दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिशें भी नाकाम साबित हुईं। इस्तांबुल में तुर्की की मध्यस्थता में हुई वार्ता क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद और अमेरिकी ड्रोन ऑपरेशन पर असहमति के चलते टूट गई। अब ड्यूरंड लाइन के दोनों ओर से गोलाबारी और मौतें जारी हैं और काबुल-इस्लामाबाद रिश्ते अब पहले से कहीं ज्यादा बिगड़े नजर आ रहे हैं।
पाकिस्तान को हक्कानी की दो-टूक
हक्कानी ने पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, 'हमने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि वे अपनी समस्याओं को खुद हल करें। हर व्यक्ति को अपने देश के हित को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि दूसरे देश पर उम्मीद रखनी चाहिए।' यह बयान पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पर सीधा हमला माना जा रहा है,खासकर उस वक्त जब इस्लामाबाद खुद TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के हमलों से जूझ रहा है।
तालिबान और पाकिस्तान में बढ़ता विवाद
पाकिस्तान लंबे समय से अफगानिस्तान में तालिबान को अपने रणनीतिक सहयोगी के रूप में देखता रहा है। 2021 से पहले तक हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का समर्थन भी मिला था। लेकिन अब तालिबान के सत्ता में आने के बाद, वही नेटवर्क पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोल रहा है। अफगान सूत्रों के अनुसार, तालिबान नेतृत्व अब पाकिस्तान को अविश्वसनीय साझेदार मानता है, जो सिर्फ अपने हित के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल करना चाहता था।
हम शांति चाहते हैं,लेकिन कमजोरी नहीं दिखाएंगे- अफगानिस्तान
हक्कानी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि अफगानिस्तान किसी को भी अपने देश की धरती से परेशानी नहीं देगा, लेकिन अगर कोई सीमा पार से अशांति फैलाएगा तो उसका जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'अगर हमने इस मसले को कानूनी तरीके से देखा, तो न पाकिस्तान पहले जैसा रहेगा, न ग्रेटर अफगानिस्तान।'
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