सार

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार गुरुवार को शपथ ग्रहण करेगी। सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने यह घोषणा की है।

 

ढाका। बांग्लादेश चल रहा राजनीतिक संकट (Bangladesh Political Crisis) जल्द समाप्त हो सकता है। सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने घोषणा की है कि नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार गुरुवार को शपथ ग्रहण करेगी।

बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनरल वाकर ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह शाम को आठ बजे होगा। सलाहकार परिषद में 15 सदस्य हो सकते हैं। मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 84 साल के यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया नियुक्त किया था। यह फैसला पूर्व पीएम शेख हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के एक दिन बाद लिया गया था।

भारत में हैं शेख हसीना

बता दें कि बांग्लादेश में पिछले दिनों सरकारी नौकरी में 1971 की जंग में हिस्सा लेने वालों के परिजनों को आरक्षण के खिलाफ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। बाद में इसने सरकार विरोधी प्रदर्शन का रूप ले लिया। हिंसा में 400 से अधिक लोगों की मौत हुई। 5 अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। वह सुरक्षा के लिए भारत आ गईं।

शेख हसीना अभी भारत में हैं। दूसरी ओर ढाका में पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया को जेल से रिहा कर दिया गया है। उन्हें दो साल पहले दो मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में डाला गया था। जेल से बाहर आने के बाद खालिदा जिया ने कहा कि हमें लोकतांत्रिक बांग्लादेश बनाना है, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता हो।

भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों के पास लगाए प्रतिबंध

बांग्लादेश में अशांति को देखकर भारत ने मिजोरम के लॉन्गतलाई जिले में बांग्लादेश और म्यांमार के साथ भारत की सीमाओं के पास प्रतिबंध लगाए हैं। शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सीमा के 3 किलोमीटर के भीतर लोगों की आवाजाही पर रोक है।

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बांग्लादेश में कपड़ा फैक्ट्रियां फिर से खुलीं

बांग्लादेश में कपड़ा फैक्ट्रियां बुधवार को फिर से खुल गईं। ये देश के निर्यात में 90 प्रतिशत का योगदान करती हैं। उम्मीद है कि वे जल्द ही पूरी तरह से काम करना शुरू कर देंगी। एचएंडएम, जारा और कैरेफोर जैसे प्रमुख पश्चिमी ब्रांडों की आपूर्ति करने वाली कपड़ा फैक्ट्रियाँ अशांति के दौरान लगाए गए कर्फ्यू के चलते बंद थीं।

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