बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई। हसीना ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी और जनादेशविहीन सरकार ने उन्हें निशाना बनाया।

ढाका/नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को फांसी की जा सुनाई गई। उन्हें ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के लिए मौत की सजा दी है। हसीना को 5 में से 3 मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। मौत की सजा पर शेख हसीना ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें मेरा पक्ष नहीं सुना गया है।

मौत की सजा पक्षपतापूर्ण और राजनीति से प्रेरित

अपनी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया में शेख हसीना ने कहा कि इस फैसले ने अंतरिम प्रशासन की एक बड़ी राजनीतिक साजिश को उजागर किया है। 78 वर्षीय हसीना ने हसीना ने ट्रिब्यूनल की वैधता को भी खारिज करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करने के लिए रची गई है। उन्होंने आगे कहा, "मेरे खिलाफ जो फैसले सुनाए गए हैं, वे एक धांधली वाले न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए हैं, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता बिना चुनी हुई सरकार द्वारा की गई है। एक ऐसी सरकार, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। ये पूरा फैसला पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है।"

शेख हसीना पर 5 बड़े आरोप क्या?

  • हत्याओं का आदेश देना।
  • भड़काऊ भाषण देकर हिंसा कराना।
  • न्याय में बाधा डालना/ सबूत मिटाने की कोशिश।
  • छात्र अबु सईद की हत्या का आदेश देना।
  • चांखारपुल में 5 लोगों की हत्या कराना और उनकी लाशें जलाना।

शेख हसीना के पास अब क्या रास्ता?

बता दें कि शेख हसीना ट्रिब्यूनल के फैसले खिलाफ 30 दिन के भीतर याचिका दायर कर सकती हैं। ICT के फैसले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान को 30 दिनों के अंदर अपील करने का हक है। वो अपनी याचिका बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की अपील डिवीजन में फाइल कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट को 60 दिनों के अंदर उनकी इस अपील पर सुनवाई कर फैसला सुनाना होगा। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने इसके लिए एक बड़ी शर्त रखी है, जिसके मुताबिक, देश से बाहर रहते हुए अपील नहीं की जा सकती। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट भी शेख हसीना की सजा को माफ नहीं करता है, तो वे राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकती हैं।