सार
जासूसी और निगरानी गुब्बारों को लेकर अमेरिका और चीन में तनातनी बढ़ती जा रही है। चीन के इस आरोप के बाद कि अमेरिका ने बगैर अनुमति चीनी हवाई क्षेत्र में 10 से अधिक गुब्बारे उड़ाए हैं, विवाद और तूल पकड़ गया है।
वाशिंगटन(Washington).जासूसी और निगरानी गुब्बारों(Chinese Spy and surveillance Balloon) को लेकर अमेरिका और चीन में तनातनी बढ़ती जा रही है। चीन के इस आरोप के बाद कि अमेरिका ने बगैर अनुमति चीनी हवाई क्षेत्र में 10 से अधिक गुब्बारे उड़ाए हैं, विवाद और तूल पकड़ गया है। हालांकि अमेरिका ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
अमेरिका ने चीन के आरोप को किया खारिज
व्हाइट हाउस ने बीजिंग के दावों को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि चीनी हवाई क्षेत्र के ऊपर कोई अमेरिकी गुब्बारा नहीं उड़ाया गया था।
दरअसल, चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिग ने बीजिंग में एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया था कि अमेरिका ने बिना अनुमति चीनी एयरस्पेस में 10 से अधिक गुब्बारे उड़ाए। चीन ने अमेरिका को चेताया भी कि टकराव बढ़ाने के बजाय उसे खुद पर विचार करना चाहिए और रवैया बदलना चाहिए।
हालांकि इस पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में रणनीतिक कम्यूनिकेशन के समन्वयक जॉन किर्बी ने मीडिया सेकहा, "हम चीन के ऊपर निगरानी गुब्बारे नहीं उड़ा रहे हैं। मुझे किसी अन्य विमान के बारे में पता नहीं है, जिसे हम चीनी हवाई क्षेत्र में उड़ा रहे हैं।"
अमेरिका के उप सचिव वेंडी शर्मन ने एक अलग न्यूज ब्रीफिंग में कहा, "चीन के जनवादी गणराज्य पर अमेरिकी सरकार के एक भी गुब्बारे नहीं हैं।"
वहीं, अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता आंद्रियाने वाट्सन ने भी कहा कि चीन झूठ बोल रहा है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि यह चीन ही है, जिसके पास खुफिया जानकारी जुटाने एक उच्च निगरानी गुब्बारा कार्यक्रम है।
अमेरिका ने चीन की 6 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया
बता दें कि अमेरिका ने कनाडा के ऊपर ‘बेलनाकार-cylindrical’ वस्तु गिराने के एक दिन बाद रविवार(12 फरवरी) को अपने हवाई क्षेत्र में इसी तरह की एक और अज्ञात हवाई वस्तु(unidentified airborne object) को मार गिराने की बात कहकर चीन को घेरा था। जासूसी गुब्बारों को लेकर विवाद की शुरुआत 5 फरवरी को तब हुई थी, जब अमेरिका ने कैरोलिना तट पर एक गुब्बारे को मार गिराया था। कहा गया कि ये चीन का था। इसके बाद लगातार अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं। इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए अमेरिका ने चीन की 6 कंपनियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया था।
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