सार
ब्राजील के बुरिटिकुपु शहर पर धरती में समा जाने का खतरा मंडरा रहा है। शहर के चारों ओर 978 फीट (298 मीटर) से अधिक लंबी लगभग 26 नालियां बन गई हैं।
ब्राजिलिया: कुदरत के साथ छेड़छाड़ करने की वजह से 70 हजार से अधिक आबादी वाले ब्राजील के एक शहर पर धरती में समा जाने का खतरा मंडरा रहा है। जंगलों की कटाई की वजह से यहां की धरती खोखली हो गई है और लगातार भूस्खलन हो रहा है। इतना ही नहीं शहर में जगह-जगह विशालकाय गड्ढे बनते जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावानी दी है कि आने वाले कुछ सालों में इस शहर का अस्तित्व मिट जाएगा।
इस शहर का नाम बुरिटिकुपु (Buriticupu) है। यह शहर ब्राजील के उत्तर-पूर्व में स्थित है। इस शहर की आबादी लगऊग 73000 है। बुरिटिकुपु के अधिकारियों ने 'आपदा की स्थिति' घोषित कर दी है, क्योंकि शहर के चारों ओर 978 फीट (298 मीटर) से अधिक लंबी लगभग 26 जलमार्ग बन गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यहां बड़े पैमाने पर वनों की कटाई ने जमीन को कमजोर कर दिया और फिर बारिश के पानी को एक विकराल बनाकर समस्या को बढ़ा दिया है।
30-40 सालों में शहर को निगल लेगी धरती
जानकारी के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में गड्ढों में गिरने से कथित तौर पर सात लोगों की मौत हो गई है और इसी सप्ताह एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी और उसकी कार एक में गिर जाने से गंभीर रूप से फ्रैक्चर हो गए। डेली मेल के मुताबिक, हाल ही में बुरिटिकुपु शहर में अचानक धरती फट गई और 230 फीट (70 मीटर) का गहरा गड्डा बन गया।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। मौजूदा हालातों को देखते हुए पर्यावरणविदों ने चेताया है कि अगर जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई, तो आने वाले 30-40 सालों में धरती पूरे शहर को निगल लेगी।
पानी नहीं रोक पा रही है बुरिटिकुपु की मिट्टी
जानकारी के मुताबिक वनों की कटाई की वजह से बुरिटिकुपु की मिट्टी पानी को नहीं रोक पा रही है। इतनी ही नहीं इस साल हुई भारी बारिश ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। काफी हद तक बिना प्लानिंग के शहर को बसाना भी इसके लिए जिम्मेदार है।
बता दें कि बीते 10 वर्षों में शहर के 50 से ज्यादा घर धरती में समा चुके हैं। करीब 41% वनों की कटाई हो चुकी है, बावजूद इसके कोई लगाम नहीं लग रही। पिछले साल के पहले 6 महीनों में न्यूयॉर्क शहर के आकार के पांच गुना जंगलों को साफ कर दिया गया। इसी दौरान सबसे ज्यादा वनों की कटाई हुई।